खमरछठ का व्रत उदया तिथि 28 अगस्त को ही रखना उचित होगा
कोरबा 26 अगस्त. इस बार हलषष्ठी का योग दो दिन पड़ रहा है। 27 अगस्त की शाम से कृष्ण पक्ष की षष्ठी लग रही है, जो 28 अगस्त को शाम तक प्रभावी रहेगी। इस कारण माताओं में व्रत किस दिन रखें, इसे लेकर कशमकश है। मगर ज्योतिषियों की मानें तो पंचांग में गणना के अनुसार षष्ठी 27 को अस्ताचल से शुरू होने के कारण माताओं को खमरछठ का व्रत उदया तिथि से अर्थात 28 अगस्त को ही रखना उचित होगा, क्योंकि इस दिन कृष्ण पक्ष की षष्ठी रात को 8.55 बजे तक रहेगी।
छत्तीसगढ़ समेत अन्य प्रांतों में भी इस पर्व को अलग-अलग नाम से मनाया जाता है, लेकिन सभी का उद्देश्य संतान के दीर्घायु जीवन की कामना ही होती है। छत्तीसगढ़ में खमरछठ और हलषष्ठी के नाम से इस पर्व को माताएं मनाती हैं। इस पर्व को बलराम जयंती के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यता है कि खमरछठ का व्रत रखने से भगवान हलधर उनके पुत्रों को लंबी आयु प्रदान करते हैं। ज्योतिषी पं. दशरथनंदन द्विवेदी के अनुसार माताओं को खमरछठ व्रत को लेकर किसी तरह की आशंका नहीं पालनी चाहिए।
हलषष्ठी व्रत पूजन विधि
हलषष्ठी व्रत के दौरान महिलाएं अनाज नहीं खाती हैं। दातुन भी महुआ की करती हैं। हल से जुती हुई अनाज व सब्जियों का उपयोग नहीं किया जाता। व्रत में वही चीजें खाई जाती हैं, जो तालाब में पैदा होती हैं। महिलाएं घर में ही तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश व कांसी के पेड़ लगाती हैं और वहां पर बैठकर पूजा-अर्चना कर हल षष्ठी की कथा सुनती हैं।