December 23, 2024

महिला एवं बाल विकास विभाग कोरबा में सूचना का अधिकार अधिनियम बना मजाक, विभाग के भ्रष्टाचार की भी की है कलेक्टर से शिकायत

कोरबा 17 जुलाई। जिला महिला एवं बाल विकास विभाग में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के संबंध में जारी निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। इसे यहां के जन सूचना अधिकारी ने मजाक बना रखा है और जानकारी देने में अकारण विलंब किया जाता है। नगर पालिक निगम के वार्ड क्र. 11 नई बस्ती के पार्षद दिनेश सोनी ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जिला महिला एवं बाल विकास विभाग, कोरबा के जन सूचना अधिकारी से जानकारी चाही है कि. वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 व 30 अप्रैल 2020 तक जिला खनिज न्यास मद से उनके विभाग को कितनी राशि किन.किन योजनाओं हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है। योजना व विभिन्न जानकारियों के साथ फर्मों को भुगतान की गई राशि की जानकारी देने हेतु 5 मई को आवेदन जमा किया। तत्संबंध में 3 जून को महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा प्रथम बिंदु की जानकारी 86 पेज में होने व इस हेतु कुल 172 रुपए अनुमानित राशि चालान के माध्यम से जमा करने का पत्र दिनेश सोनी को उनके वाट्सअप पर प्रेषित किया। शेष बिंदुओं की जानकारी के लिए पृथक.पृथक आवेदन प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया। दिनेश सोनी ने बताया कि दूसरे दिन 4 जून को उक्त 172 रुपए चालान के माध्यम से जमा कराया जाकर विभाग में इसकी प्रति प्रस्तुत कर दी गई। इसके बाद करीब डेढ़ माह का समय बीतने को हैं किंतु निकाली जा चुकी कथित 86 पन्ने की जानकारी आवेदक दिनेश सोनी को अब तक नहीं दी जा सकी है। पार्षद दिनेश सोनी ने बताया कि उनके द्वारा दूसरे विभागों से भी कुछ बिन्दुओं पर जानकारी चाही गई थी जो समय सीमा में प्राप्त हो चुकी है लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सुनियोजित तरीके से अनावश्यक विलंब किया जा रहा है जो अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु जारी निर्देशों का उल्लंघन भी है।
पार्षद दिनेश सोनी ने बताया कि उनके द्वारा पूर्व में महिला एवं बाल विकास विभाग के कामकाज व भ्रष्टाचार को लेकर कलेक्टर से शिकायत की गई है। कोरोना संकट के दौर में बच्चों और महिलाओं के लिए सुपोषण योजना में वितरित होने वाले सूखा राशन, आंगनबाड़ी केन्द्रों की पोताई और मरम्मत के नाम पर आई हुई राशि बिना कार्य कराए कार्यकर्ताओं से वसूल करने एवं विद्युतीकरण के नाम पर 1 करोड़ से अधिक का घोटाला की जांच कराने की उन्होंने मांग की है। कलेक्टर के द्वारा उनकी शिकायत पर जांच की कार्यवाही प्रारंभ कराई गई है अथवा नहीं, इस बारे में भी कोई स्पष्ट तौर पर बताने को तैयार नहीं है। विभाग के कामकाज को लेकर जिले भर से शिकायतें हैं और शासन से मिलने वाली विभिन्न योजनाओं की राशि के अलावा खनिज न्यास मद की भी बड़े पैमाने पर बंदरबांट हो रही है किंतु इसकी अपेक्षा महिला बाल विकास विभाग की योजनाओं का अपेक्षित लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है। कागजों में आंकड़ों का खेल नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी खेल रहे हैं।
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