कोयला संकट से जूझ रहे विद्युत संयंत्रों में उत्पादन कम करने की नौबत
कोरबा 1 सितंबर। कोयला संकट से जूझ रहे विद्युत संयंत्रों के सामने लगातार चुनौती खड़ी हो रही। एनटीपीसी सीपत दोनों ही संयंत्र में महज तीन दिन का कोयला स्टाक शेष है। नियमित आपूर्ति में बाधा आने पर उत्पादन घटाने की नौबत आ जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के संयंत्रों में भी कोयले की कमी बनी हुई है। हसदेव ताप विद्युत संयंत्र एचटीपीपी में चार दिन व डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र में तीन दिन का कोयला बचा है। बाल्को विद्युत संयंत्र में भी कुछ ऐसी ही स्थिति निर्मित है।
बारिश में हर साल खदानों में उत्पादन व डिस्पैच दोनों प्रभावित होते रहा है। लेकिन इस बार विद्युत संयंत्रों तक कोयला आपूर्ति में आई कमी की वजह से पावर सेक्टर में अच्छी खासी परेशानी खड़ी हो गई है। कई विद्युत संयंत्रों को तो उत्पादन कम करने की नौबत आ गई है। इस संकट से ना केवल राज्य के विद्युत संयंत्र जूझ रहे, बल्कि देश भर के विद्युत संयंत्रों का यही हाल है। देश का 18 फीसद कोयला छत्तीसगढ के पास है। यह लगभग 56 बिलियन टन के करीब है। देश में कोयला उत्पादन में साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की भागीदारी 25 फीसद है, जबकि उत्पादन लक्ष्य 172 मिलियन टन है। राज्य में औद्योगिक घरानों ने 65 हजार करोड़ का निवेश किया है और लगभग 200 उद्योग कार्यशील है। उनके ताप आधारित कैप्टिव पावर प्लांट लगभग चार हजार मेगावाट बिजली बनाते हैं। इसके लिए उन्हें 26 मिट्रिक टन कोयला चाहिए। एसईसीएल के कुल उत्पादन का यह 16 फीसद है। जबकि जितना कोयला उद्योगों को चाहिए, उसका 50 फीसद भी उन्हें नहीं मिल पा रहा। कोयले की कमी कहें या फिर एसईसीएल की कार्यशैली का परिणाम। इस दफा कोल इंडिया ने उपभोक्ता उद्योगों के साथ ईंधन खरीद समझौता एफएसए का नवीनीकरण करने से साफ मना कर दिया है। उपभोक्ताओं से कहा गया है कि खुले बाजार से अपने लिए कोयले का इंतजाम कर लें। एसईसीएल यह तो कहता है कि एफएसए का नवीनीकरण नहीं होने पर वह इ-आक्शन के जरिए उपभोक्ताओं को कोयला देगा, पर हकीकत यह है कि एसईसीएल की ओर से इ-आक्शन की कोई भी तैयारी नहीं दिखाई देती। खदानों में पर्याप्त उत्पादन नहीं हो रहा है और बालको जैसे कैपटिव पावर प्लांट सीपीपी आधारित उद्योगों की हालत खराब हो रही।
एसईसीएल की कोयला खदानों से प्रतिदिन 90 रैक की जगह इन दिनों केवल 36 रैक निकल रहा। पिछले छह दिन में 215 रैक कोयला लदान किया गया। इसमें 20 रैक कोयला विद्युत संयंत्रों से दीगर उपक्रमों को प्रदान किए गए। यानी पचास फीसद रैक भी कोयला लदान नहीं हो सका है। एसईसीएल की खदानों से कोयला उत्पादन के साथ ही डिस्पैच में भी गिरावट आई है। पिछले छह दिनों में 1829 लाख टन कोयला का उत्पादन हुआ है। एक दिन में औसतन 304.5 लाख टन ही कोयला निकला। वहीं कोयला डिस्पैच भी घट गया है और छह दिन में 2170 लाख टन कोयला डिस्पैच किया गया। इस तरह एक दिन में 361.66 लाख टन कोयला ही बाहर भेजा गया। एसईसीएल की सभी खदानों में सामान्य दिनों में प्रतिदिन 5.50 लाख टन कोयला उत्पादन व छह लाख टन कोयला डिस्पैच होता है। वहीं वित्तीय वर्ष के अंत में यह आंकड़ा बढ़ कर 10 लाख टन पहुंच जाता है।