बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के संचालक व सीईओ को सजा के तौर पर 1-1 लाख का जुर्माना
कोरबा 6 सितंबर। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में उल्लेखित प्रावधानों का उल्लंघन पर श्री बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सालय के संचालक एवं सीईओ को सजा के तौर पर 1-1 लाख रुपए जुर्माना से दंडित किया गया है।
जिला चिकित्सालय के निकट संचालित मेसर्स बालाजी ट्रामा एंड सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सालय के संचालक डॉ.देवेन्द्र नायक एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी हिमांशु साहू के द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के नियमों का पालन नहीं किया गया। जैव-चिकित्सा प्रबंधन एवं प्रहस्तन नियम 2016 के अंतर्गत चिकित्सालय में दूषित जल उपचार संयंत्र ईटीपी स्थापित किया जाना अनिवार्य है किंतु इसकी स्थापना न कर अस्पताल का संचालन किया जाता रहा। चिकित्सा संस्थान को जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के नियम 4 ट, के अनुसार जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 के तहत छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंंडल से जल सम्मति प्राप्त करना अनिवार्य है। जल सम्मति प्राप्त करने से पहले ईटीपी संयंत्र स्थापित किया जाना आवश्यक है किंतु चिकित्सा संस्थान के द्वारा ईटीपी की स्थापना किए बगैर चिकित्सालय का संचालन शुरू किया गया जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन पाया गया।
इस संबंध में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी द्वारा चिकित्सालय का अवलोकन किया गया जिसमें 16 दिसंबर 2016 को ईटीपी संयंत्र की स्थापना होना नहीं पाया। इसके पश्चात 7 जनवरी 2017, 19 जनवरी 2018, 7 अप्रैल 2018 को नोटिस देकर संयंत्र स्थापना के लिए बार-बार निर्देशित किया गया किंतु कोई आवेदन पर्यावरण संरक्षण मंडल में नहीं किया गया। 17 जुलाई 2018 को संचालक डॉ.देवेन्द्र नायक को शो-काज नोटिस प्रेषित किया गया किंतु कोई जवाब नहीं मिला। 14 अगस्त 2018 को क्षेत्रीय अधिकारी एवं कार्यालय के रसायनज्ञ द्वारा चिकित्सा संस्थान का निरीक्षण में पाया गया कि दूषित जल उपचार संयंत्र स्थापित नहीं किया गया है। इस तरह नियमों का उल्लंघन पर क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण अधिकारी के द्वारा धारा 6, 8 एवं 25 जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन एवं प्रहस्तन नियम 1998 यथा संशोधित एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 एवं 19 के तहत परिवाद पत्र मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी आर एन पठारे के द्वारा इस मामले में धारा 15 पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अपराध में दोषसिद्ध पाए जाने पर 1-1 लाख रुपए अर्थदण्ड से डॉ.नायक एवं हिमांशु साहू को दंडित किया गया है। अर्थदण्ड की राशि अदा नहीं करने पर एक-एक माह के साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।