12 दिन से भुईयां साफ्टवेयर निष्क्रिय, राजस्व विभाग के साथ आम लोगों की कामकाज हुई बाधित
कोरबा 20 सितंबर। लोगों और किसानों को सुविधा देने के लिए छत्तीसगढ़ में जिस भुइंया साफ्टवेयर को पिछले वर्षों में लांच किया गया, वह 12 दिन से निष्क्रिय है। खबर के अनुसार साफ्टवेयर को अपग्रेड करने के फेर में समस्याएं बनी हुई है। इसलिए यह क्रियाशीलता की दौड़ से बाहर हो गया है। ऐसे में राजस्व से जुड़े हर तरह के कामकाज अटक गए है। 12 दिन से कहीं भी कोई काम नहीं हो पा रहे हैं।
जानकारी में कहा गया कि अंतिम रूप से कृषि रकबे के सत्यापन को लेकर राजस्व विभाग की ओर से गिरदावरी के काम को 20 सितंबर तक पूरा किया जाए। इस हिसाब से सोमवार को इसकी अंतिम तिथि है। इसी के साथ पूरे डाटा को इसमें अपलोड करना है। लेकिन प्रक्रियागत कारणों से दिक्कतें आ रही है। यही हाल भुइंया साईड से बी-1, खसरा और नक्शा की जानकारी लेने के काम भी नहीं हो पा रहे है। जमीन के नामांतरण को लेकर ऑनलाइन की जाने वाली प्रक्रिया भी इस चक्कर में खटाई में पड़ी हुई है। राजस्व से जुड़े हुए दूसरे कामकाज भी साफ्टवेयर की तकनीकी समस्या बने होने के चलते परवान नहीं चढ़ पा रहे है। सूत्रों का कहना है कि ना केवल कोरबा जिले बल्कि प्रदेश भर में एक जैसी समस्या कायम है और हर तरफ उन लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है, जिन्हें किन कार्यों के लिए भुइंया साईड का इस्तेमाल करना है। ऐसे में ना तो लोगों को सुविधा मिल पा रही है और ना ही सरकारी तंत्र अपना कामकाज कर पा रहा है। बताया गया कि इस साफ्टवेयर का दारोमदार नेशनल इंन्फारमेशन सेंटर पर है। उसकी ओर से समस्या का समाधान नहीं किये जाने से आगे की रफ्तार बढ़ नहीं पा रही है।
कोरबा जिले में राजस्व सब डिवीजन कोरबा, कटघोरा पोड़ीउपरोड़ा और पाली के अंतर्गत आने वाली सभी तहसीलों में समस्याओं का सिलसिला बना हुआ है। ऐसे में वह मंशा पूरी नहीं हो पा रही है, जिसके अंतर्गत लोगों को कम समय में सुविधा से लाभान्वित किया जाना है। अब तक अधिकारियों को भी यह नहीं बताया गया कि भुइंया से जुड़ी परेशानी को कब तक और कैसे दूर किया जाएगा।
बताया गया कि 8 सितंबर से एनआईसी रायपुर के स्तर से ही भुइंया पोर्टल बंद है। 13 सितंबर को कुछ घंटों के लिए ओपन हुआ और फिर बंद हो गया। हर महीने इसमें नए परिवर्तन किये जा रहे है। डिजिटलाईजेशन के दौर में सुविधाएं बढ़ायी जा रही है लेकिन दिक्कतें यह है कि राजस्व विभाग में अधिकांश पटवारी और आरआई कम्प्यूटर की डिग्री और डिप्लोमाधारी नहीं है। ऐसे में बार-बार होने वाले बदलाव के कारण वे नए वर्जन और नई समस्याओं को नहीं समझ पाते।