रेलवे क्रासिंग पर मालगाड़ियों के रूकने से नागरिक परेशान
कोरबा 11 अक्टूबर। कोरबा और बालको के बिजली घरों की जरूरत के लिए भारी भरकम कोयला की जरूरत हो रही है। एसईसीएल की खदानों और वासरी से आने वाला कोयला मालगाड़ियों के जरिये बिजली घरों तक पहुंच रहा है। कोरबा नगर में शारदा विहार रेलवे क्रासिंग पर मालगाडिय़ों के अक्सर अटकने की बीमारी के कारण नागरिक परेशान है। आज यहां डीएसपीएम को जाने वाली मालगाड़ी लगभग एक घंटे तक खड़ी रही जिससे लोग हलाकान हो गए। ऐसी घटनाओं में ज्यादा दिक्कत मरीजों के मामले में पेश आ रही है। बार-बार रेलवे इस समस्या का समाधान तलाशने का दावा कर रहा है, लेकिन नतीजे सिफर है।
500 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत केन्द्र, बालको के 1200 मेगावाट प्लांट और एल्युमिनियम संयंत्र को कोयला की आपूर्ति निर्बाध रूप से करने के लिए बीते वर्षों में रेलवे ट्रेक बिछाया गया। लंबे समय तक डीजल इंजन के जरिये मालगाडिय़ों की पहुंच रेलवे साइडिंग से प्लांट तक होती रही। 50 से 60 वैगन वाली मालगाडिय़ों में कोयला लोड होकर आने से डीजल इंजन को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। बार-बार की परेशानी से तंग आकर प्रबंधन के द्वारा अपने संयंत्र को जाने वाली रेल लाईन को इलेक्ट्रीफाइड कराया गया। अब पावर इंजन के साथ मालगाडिय़ों की आवाजाही संयंत्र तक हो रही है। सामान्य रूप से मालगाडिय़ों में दो इंजन का उपयोग किया जा रहा है। इसके बाद भी परेशानी है कि कम होने का नाम नहीं ले रही है। हर दिन कोरबा शहर के अंतर्गत शारदा विहार रेलवे क्रासिंग पर मालगाडिय़ां आकर अटक जाती है। यह ऐसी बीमारी है जो न केवल बारिश बल्कि हर मौसम में बनी हुई है। दिन में कई बार क्रासिंग के बंद होने से कहीं ज्यादा मालगाडिय़ों के यहां पर अटकने से जन सामान्य के साथ-साथ मरीजों को काफी परेशान होना पड़ रहा है।
दिक्कत यह है कि कोरबा में कोई भी इलाका ऐसा नहीं जहां पहुंचने के लिए आपको रेलवे क्रासिंग पार न करना पड़े। लोग एक समस्या से निजात पाने के लिए दूसरे रास्ते का उपयोग करते हैं तो ट्रांसपोर्ट नगर और आगे डीएसपीएम क्रासिंग पर समस्याएं उनका इंतजार करती है। ऐसे में अनेक मौकों पर लोग समस्याओं से घिर जाते है। इसलिए उचित समाधान निकालने की जरूरत महसूस की जा रही है लेकिन कुछ हो नहीं पा रहा है।
डीएसपीएम से पहले सीएसईबी चौराहे पर वाय शेप के फ्लाईओव्हर का निर्माण कराने के लिए कई वर्ष पहले योजना बनी। हर साल दो-दो बार इसका सर्वे होता है। नगर निगम के बजट में भी इसकी चर्चा हो चुकी है। यहां से आगे योजना पर कोई काम हो ही नहीं पा रहा है। लोगों को अब लगने लगा है कि यह ड्रीम स्वप्र के बजाय दिवा स्वप्र से ज्यादा और कुछ नहीं है।