December 23, 2024

वन मण्डल मरवाही में कैम्पा मद का 20 करोड़ डकार गये अधिकारी

ऊपर वाले के संरक्षण की चर्चा, कौन है ऊपर वाला? जांच में होगा खुलासा,

मरवाही 15 अक्टूबर। वन विभाग का वन मण्डल मरवाही हाल के दिनों से सुर्खियों में है। डी. एफ. ओ. का प्रभार मिलते ही जूनियर एस. डी. ओ. ने अपने ही द्वारा अग्रेसित चार करोड़ के बिल पर डी. एफ. ओ. की हैसीयत से मुहर लगाकर चेक बना दिया, वहीं कैम्पा मद में प्राप्त 20 करोड़ रूपयों के भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने की खबर है। भ्रष्टाचार का यह खुला खेल ऊपर वाले के आर्शीवाद से खेलने की सरगर्म चर्चा है।

आपको बता दें कि अगस्त-माह में तीन वर्ष तक मरवाही वन मण्डल के प्रभारी डी. एफ. ओ. रहे आर. के. मिश्रा रिटायर हुए तो सीनियर एस. डी. ओ. वन के. पी. डिण्डोरे की खुली उपेक्षा कर जूनियर एस. डी. ओ. संजय त्रिपाठी को प्रभारी डी. एफ. ओ. बना दिया गया। इस आदेश के बाद से ही के. पी. डिण्डोरे अवकाश पर चले गये हैं। वहीं संजय त्रिपाठी ने प्रभार मिलते ही वन मण्डल में खेला शुरू कर दिया। पूर्व डी. एफ. ओ. आर. के. मिश्रा ने जिस भारी-भरकम राशि के बिल का भुगतान भ्रष्टाचार के संदेह में रोक दिया था, संजय त्रिपाठी ने रातों-रात उसका चेक बना दिया। इस मामले के बाद मरवाही वन मण्डल में भ्रष्टाचार की कलई परत-दर परत खुलने लगी है।

भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार मरवाही रेंज में 04 करोड़ रूपयों की लागत से दो तालाब निर्माण का कार्य स्वीकृत किया गया था। इन तालाबों के निर्माण में बमुस्किल 20 लाख रूपये खर्च कर पूरे 04 करोड़ रूपयों का बिल बनाकर रेंजर ने भुगतान के लिए प्रेषित किया था। एस. डी. ओ. के रूप में संजय त्रिपाठी ने इस बिल को भुगतान के लिए तत्कालीन डी. एफ. ओ. आर. के. मिश्रा को अग्रेसित किया था। कार्य से असंतुष्ट डी. एफ. ओ. मिश्रा ने निर्माण कार्य का बिल भुगतान नहीं किया था। गत माह प्रभारी डी. एफ. ओ. की कुर्सी पर बैठते ही संजय त्रिपाठी ने अपने ही द्वारा पूर्व में अग्रेसित इस बिल का रातों-रात चेक
बनाकर भुगतान कर दिया। विभाग में चर्चा है कि प्रभारी डी. एफ. ओ. पद पर बने रहने के लिए इस राशि की ऊपर वाले को चढ़ोत्री चढ़ाई गई है।

यह मामला खुला तो इसके साथ एक और बड़ा घोटाला खुल गया। सूत्रों के अनुसार कैम्पा मद में मरवाही और गौरेला रेंज को लेन्टाना उन्मूलन के लिए गत 2 वर्ष में 20 करोड़ रूपये आबंटित किये गये थे। विभागीय अधिकारी इस पूरी राशि को भी कोई काम किये बिना ही डकार गये। लेन्टाना एक तरह की घास है, जो जंगल को नष्ट कर देता है। कीमती पौधों की सुरक्षा की दृष्टि से इसकी समय-समय पर कटाई कराई जाती है। जंगल में इस घास की कटाई मजदूरों से ही कराई जा सकती है, क्योंकि जंगल में कदम-कदम पर कीमती पेड़ होते हैं और
उनके बीच से पेड़ों को सुरक्षित रखते हुए हाथ से ही घास की कटाई हो पाती है। लेकिन इसे चमत्कार कहा जाये या अधिकारियों का कारनामा, उन्होंने जे. सी. बी. से लेन्टाना कटाई का कार्य कराना बताकर कैम्पा मद की राशि खर्च कर
दी। बताया जाता है कि मनेन्द्रगढ़ की एक फर्म को जे. सी. बी. से घास कटाई का बिल भुगतान किया गया है। जबकि काम नहीं के बराबर कराया गया है। कैम्पा मद में किये गये इस घोटले में तत्कालीन डी. एफ. ओ. आर. के. मिश्रा, एस. डी. ओ. संजय त्रिपाठी, गौरेला रेंजर गोपाल जांगड़े, मरवाही रेंजर दरोगासिंह मरावी और स्टाफ की भूमिका बतायी जाती है।

वर्तमान में प्रभारी डी. एफ. ओ. संजय त्रिपाठी का एक और बड़ा कारनाना मरवाही रेंज के साल्हेकोटा बिट का बताया जा रहा है, जहां 800 हेक्टेयर वन क्षेत्र में लेन्टाना कटाई का कार्य किये बिना ही बिल बनाकर 02 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया है। सूत्रों की मानें तो ये मामले छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के अपनी तरह के अलग ही मामले हैं, जिनकी जांच होने पर राज्य के वन विभाग में यह सबसे बड़ा घोटाला का मामला हो सकता है।

यहां उल्लेखनीय है कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में एक वर्ग विशेष को खास महत्व दिया जाता रहा है। इसका खामियाजा राज्य के जंगलों को भुगतना पड़ रहा है। वनों के रखरखाव के लिए जारी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है और जंगल का विकास अवरूद्ध हो रहा है। इसी तरह वन विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों की उपेक्षा कर और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को दर किनार कर प्रभारवाद का सिलसिला चल पड़ा है। जैसे मरवाही के प्रभारी डी. एफ. ओ. के रिटायर होने के बाद 31 अगस्त 2021 को भारतीय वन सेवा के डी. एफ. ओ. जितेन्द्र कुमार उपाध्याय को मरवाही का अतिरिक्त प्रभारी पदस्थ किया था। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इसी दिन एक अन्य आदेश जारी कर मरवाही के एस. डी. ओ. संजय त्रिपाठी को प्रभारी डी. एफ. ओ. बना दिया गया। जब संजय त्रिपाठी को प्रभारी बनाया गया, तब मरवाही वन मण्डल में ही उनसे सीनियर एस. डी. ओ. वन के. पी. डिण्डोरे पदस्थ थे। मगर उनकी खुली उपेक्षा कर जूनियर एस. डी. ओ. संजय त्रिपाठी को डी. एफ. ओ. का प्रभार दे दिया गया।

ज्ञात हो कि इस तरह के अवसरों के लिए राज्य शासन का स्पष्ट दिशा-निर्देश और आदेश पूर्व से है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी को ही प्रभारी बनाने का प्रावधान है। छ.ग.शासन सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक-एफ 9-2/ 2011/ 1/3 नया रायपुर दि.14 /07/ 2014 में नियमित रिक्त पदों पर चालू कार्यभार सौंपे जाने के संबंध में नीति निर्देश दिया गया है। पत्र में निर्देश दिया गया है कि विभागों में रिक्त वरिष्ठ पदों का चालू प्रभार संवर्ग के वरिष्ठ अधिकारियों के बिना किसी युक्तियुक्त प्रशासकीय कारण के बायपास करते हुए कनिष्ठ अधिकारियों को ना सौंपा जाये। साथ ही जिन विभागों में इस तरह के कनिष्ठ अधिकारी वरिष्ठ पदों के प्रभार में हैं उन्हें प्रशासकीय विभाग /विभागाध्यक्ष द्वारा तत्काल भारमुक्त किया जाये। राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांड के हस्ताक्षर से जारी इस
निर्देश में उपरोक्त निर्देश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने की अपेक्षा भी की गयी है।

मजे की बात यह है कि वन यानि जंगल विभाग में खुलेआम जंगल राज चलाया जा रहा है। जिसकी लाठी उसकी भैंस की तर्ज पर नियम-कानून और शासन के आदेशों- निर्देशों को ताक पर रखकर लगातार मनमानी की जा रही है। मरवाही वन
मण्डल के कारनामोंं को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में वन विभाग का कामकाज कैसा चल रहा है। इधर कदम-कदम पर ऊपरवाले का जिक्र सुनने में मिलता है। यह भी जांच का विषय है, कि वह ऊपरवाला कौन है ? जिसकी आड़
लेकर वन विभाग के अधिकारी- कर्मचारी खुलेआम भ्रष्टाचार का खेला कर रहे हैं। यहां तक कि मरवाही वन मण्डल के मामले में तो जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। स्थानीय विधायक एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने यहां व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत विभागीय मंत्री मो. अकबर से की है, लेकिन मंत्री भी कोई कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं। सरकार के दमदार मंत्री कहे जाने वाले मो. अकबर कार्यवाही क्यों नहीं कर पा रहे हैैं? यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

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