चिटफंड से राशि वापसी के 90 हजार आवेदनों की नहीं हुई डाटा एंट्री
कोरबा 21 अक्टूबर। चिटफंड कंपनियों में डूबे पैसे की वापसी के लिए निवेशकों से ली गई 90 हजार आवेदन की छंटनी तो दूर अभी तक डाटा एंट्री नही हुई है। अगस्त माह में प्राप्त आवेदन दो माह बीत जाने के बाद भी जिला और तहसील कार्यालयो में डंप पड़े हैं। जिला प्रशासन को राज्य सरकार के गाइडलाइन और निवेशकों को राशि वापसी का इंतजार है।
चिटफंड कंपनियों में जमा राशि के वापसी के लिए जिला प्रशासन ने दो अगस्त से आवेदन लेना शुरू किया था। राशि वापसी की आस में निवेशकों ने कतार में घंटो खड़े होकर आवेदन किया था। जिला मुख्यालय में दो से अगस्त तक आवेदन लिए गए। बढ़ती कतार को देखते हुए तहसीलवार कोरबा, कटघोरा, हरदी बाजार, दर्री, करतला, पोड़ी उपरोड़ा में भी आवेदन जमा करने के लिए काउंटर की सुविधा दी गई। कोरोना काल होने के बावजूद जोखिम लेकर आवेदन जमा करने में निवेशकों ने कोई कसर नही छोड़ी। फ़ोटो कापी करने से लेकर मुख्यालय आकर आवेदन जमा करने के लिए निवेशक पैसा खर्च करने में पीछे नही रहे। निवेशकों को पैसा मिले न मिले लेकिन आवेदन लेने के समय में फोटो कापी दुकान संचालकों ने जमकर कमाई की। आवेदन भरने के 20 रूपये लिए जा रहे थे। बहरहाल राशि वापसी को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नही होने से निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। निवेशक महसूस कर रहे हैं कि कहीं आवेदन लेना भी सब्जबाग न हो। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने चिटफंड कंपनियों से राशि वापसी को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। सरकार गठन के बाद से ही लोगों को राशि वापसी की आस बंध गई थी। यहां यह भी बताना होगा कि राशि जमा करने वाले अधिकांश निवेशकों को तो कंपनी तक का नाम तक नहीं मालूम है। अभिकर्ताओं से मिले दस्तावेज के आधार पर आवेदन जमा किया है। बहरहाल निवेशकों को उनकी राशि वापसी हो गई तो उन्हे ही नहीं सरकार को भी राहत होगी।
चिटफंड कंपनियों में 90 हजार निवेशकों के 180 करोड़ रुपये डूब चुके हैं। जिन कंपनियों में निवेशकों ने राशि जमा की है उनमें अकेले साईं प्रसाद के 90 करोड़ का अनुमान है। इन कंपनियों ने गांव के बेरोजगार युवकों को अभिकर्ता बनाकर गांव के लोगों से राशि जमा कराया। निवेशकों ने अभिकर्ता बने नजदीकी रिश्तेदारों के विश्वास में आकर राशि जमा की। कंपनियों ने लोगो को कम समय में राशि दोगुना करने का सब्ज दिखाई और करोड़ों ले उड़े हैं। इन कंपनियों के नाम से जिले के विभिन्न थाना चौकियों ने 18 एफआईआ दर्ज हैं। कंपनियों के नाम से जिले में इतनी संपत्ति नही जिसे नीलाम कर निवेशकों की पूरी राशि लौटाई जा सके।
राशि वापसी के लिए प्रशासन की ओर से अभी तक गाइडलाइन जारी नही होने से निवेशक तहसील व जिला कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। राशि वापसी के आवेदकों में दो हजार से 10 लाख रुपये निवेश करने वाले शामिल हैं। इनमें से अधिकांश निवेशकों की राशि मेच्योर हो चुके थे। यानि उन्हें केवल राशि वापसी होनी थी। राशि वापसी को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। निवेशकों के अलावा अभिकर्ताओं को भी राशि वापसी का इंतजार है।