November 7, 2024

एकीकृत पोर्टल में 1500 किसानों की नहीं हुई एंट्री, धान बेचने से होंगे वंचित

कोरबा 31 अक्टूबर। एकीकृत पोर्टल ने धान किसानों की समस्या बढ़ा दी है। पहली बार नए पोर्टल में पंजीयन किया जा रहा है। बीते वर्ष 28712 किसानों ने पंजीयन कराया था। सहकारी समिति के आपरेटरों को प्रशिक्षण नहीं देने और सर्वर डाउन होने कारण 1022 पुराने किसानों का पंजीयन बाकी है। अभी तक पोर्टल में 339 नए व 27690 किसान शामिल हुए हैं। पंजीयन की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर है। तिथि नहीं बढ़ी तो गैर पंजीकृत और रकबा सुधार वाले डेढ़ हजार से भी अधिक किसान धान बेचने से वंचित हो जाएंगे।

धान खरीदी के लिए प्रशासन स्तर पर चल रही आंतरिक तैयारियां सुस्त है। पंजीयन का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ। पंजीकृत पुराने किसानों का नाम नए पोर्टल में नहीं जोड़े गए हैं। ऐसे किसान जिन्होने अतिरिक्त कृषि जमीन खरीदी की है अथवा बिक्री की है, उनके रकबा में भी फेरबदल हुआ है। धान बेचने के लिए उन्हे नया पंजीयन कराना आवश्यक है। सर्वर डाउन होने के कारण पंजीयन अधूरा है। इसके अलावा खेत किनारे खाली जमीन को जिन किसानों ने विस्तार देकर रकबा में बढ़ोतरी की है, उनका भी अतिरिक्त रबका को पोर्टल में शामिल नहीं किया गया है। अब तक 1547 किसानों के रकबा में संशोधन किया जा चुका है। 380 किसानों के आवेदन का निराकरण अब भी लंबित है। बहरहाल जारी पंजीकृत किसान संख्या पर गौर करें तो भैसमा समिति दूसरे क्रमांक पर है। यहां 1750 किसानों ने पंजीयन कराया है। सबसे कम 473 किसान छुरी समिति में शामिल है। बीते वर्ष किसानों ने 46805.171 हेक्टेयर रकबा के धान फसल बेचने के लिए पंजीयन कराया था। अब तक 339 नए किसानों का 326.19 हेक्टेयर अतिरिक्त रकबा जुड़ा है। पंजीकृत किसानों में 466 ऐसे भी किसान हैं जिनका अभी तक आधार कार्ड अप्राप्त है। ऐसे में उन्हे धान बेचने में समस्या आ सकती है। पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण 17 से भी अधिक किसानों का पंजीयन निरस्त किया जा चुका है। किसानों को पंजीयन के अलावा रकबा सत्यापन की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। बीते वर्ष से कम या अधिक खेती की गई है इसका सत्यापन करने की जिम्मेदारी कृषि विस्तार अधिकारी को दी गई हैं। अधिकारी गांव में रहने के बजाए अपने गृह ग्राम से आना जाना करते हैं। 412 ग्राम पंचायातें 323 आरईओ कार्यरत हैं। एक अधिकारी के भरोसे दो से तीन ग्राम पंचायत हैं। ऐसे में पंजीयन कराने में किसानों में भटकाव देखी जा रही है। बहरहाल पोर्टल में आ रही समस्या को देखते हुए पंजीयन के लिए समय बढ़ने की संभावना है। समय नहीं बढ़ी तो पंजीयन के अभाव में किसान धान बेचने से वंचित होंगे।

जिले में एक लाख 24 हजार किसान हैं लेकिन खेती रकबा कम होने से वे लघु सीमांत कृषक की श्रेणी में आते हैं। इन किसानों को इतनी उपज नहीं मिलती कि वे फसल को उपार्जन केंद्र में बेच सकें। ऐसे ही किसानों का सहारा लेकर कोचिए अपना धान उपार्जन केंद्र में बेचते हैं। इस पर रोक नहीं लगने से दीगर से जिले धान की अफरा-तफरी करने में बिचौलिए सक्रिय रहते हैं। जिले में ऐसे भी किसान हैं जिनके खेत से लगी हुई खाली भूमि है, जिसे विस्तार देकर बुआई का रकबा बढ़ाया जा सकता है। प्रशासन या कृषि विभाग से इसके लिए योजना तैयार नहीं किए जाने से किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा।

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