October 5, 2024

प्रतिदिन वीर शहीद के बलिदान को स्मरण कर शुरू होगी युवाओं की पढ़ाई

कोरबा 1 नवम्बर। शासकीय ईवीपीजी महाविद्यालय के मुख्य द्वार पर नक्सली मुठभेड में वीरगति को प्राप्त शहीद जवान अजय भारद्वाज की प्रतिमा स्थापित की गई है। करीब एक दशक पहले नक्सल प्रभावित बस्तर में अपने कर्तव्य को निभाते हुए उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। महाविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि कालेज में स्थापित यह प्रतिमा यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को सदैव देश के प्रति निष्ठा और बलिदान के लिए तत्पर रहने प्रेरित करेगी। प्रतिदिन वीर शहीद के बलिदान को स्मरण कर कालेज आने वाले युवाओं की शिक्षा का पाठ प्रारंभ होगा।

शहीद अजय शासकीय पीजी महाविद्यालय के होनहार व ऊर्जावान विद्यार्थी रहे। राजनांदगांव के मानपुर क्षेत्र के मदनवाड़ा इलाके में 12 जुलाई 2009 की सुबह एक नक्सली हमले में राजनांदगांव के पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे के साथ 29 जवान शहीद हो गए थे। इनमें ग्राम अखरापाली का युवक अजय भारद्वाज भी शामिल था। भाई अरविंद भारद्वाज, बहन पुष्पा, अर्चना और पिंकी में चौथे नंबर का अजय शुरू से ही मेधावी छात्र था। बचपन में ही सिर से पिता का साया छिनने के बाद जहां मां के लालन-पालन में वह बड़े हुए और सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बुधवारी कोरबा में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद शासकीय इंजीनियर विश्वेश्वरय्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया। इस बीच उन्होंने राजनांदगांव जिला पुलिस बल भर्ती की परीक्षा दिलाई और स्नातक की पढ़ाई की शुरुआत में ही उनकी नियुक्ति हो गई। इसके बाद गुरिल्लावार की ट्रेनिंग ली और राजनांदगांव के सीतापुर थाना में पदस्थ थे।

शासकीय ईवीपीजी महाविद्यालय के प्राचार्य डा आरके सक्सेना ने बताया कि लंबे समय से कालेज प्रबंधन उनकी प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी कर रहा था। कालेज के मुख्य द्वार पर स्थापित शहीद की प्रतिमा हम सभी को और खासकर युवाओं को याद दिलाएगी कि हम सभी के अमन-चैन और देश की रक्षा के लिए खुद की जिंदगी दांव पर लगाने तत्पर हमारे पुलिस के जवान अपने परिवार, माता-पिता व बच्चों से दूर रहकर किस तरह से समर्पित होकर सेवा में दिन-रात जुटे हुए हैं। उरगा क्षेत्रांतर्गत ग्राम अखरापाली के रहने वाले शहीद अजय महाविद्यालय के होनहार विद्यार्थी होने के साथ ही एनसीसी के कैडेट और एक उत्कृष्ट खिलाड़ी रहे। उन्होंने महाविद्यालय में प्रवेश लेने के साथ ही पुलिस भर्ती में प्रयास करने अपनी तैयारियां शुरू कर दी थीं। उन्होंने अपने जीवन में सिर्फ एक ही लक्ष्य बनाया था, खाकी वर्दी धारण कर देश और मातृभूमि की सेवा में जुट जाना। उन्होंने वही किया और देश रक्षा में खुद को न्यौछावर कर अमर हो गए।

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