November 21, 2024

जिंदल स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना

कोलकाता 28 नवंबर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कोलकाता बेंच ने ओडिशा के अंगुल जिले में नंदीरा नदी को हड़पकर वहां प्लांट खड़ी करने के मामले की सुनवाई के बाद जिंदल स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है। इनमें से डेढ़ करोड़ रुपये हरित क्षेत्र विकसित करने पर तथा 50 लाख रुपये प्रदूषण नियंत्रण पर खर्च किया जायेगा। ट्रिब्यूनल ने ओडिशा सरकार से इस बात का हलफनामा देने कहा है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है।

जस्टिस बी. अमित स्थालेकर और विषय विशेषज्ञ साइबल दासगुप्ता ने इस मामले की अंतिम सुनवाई 9 नवंबर को की थी और फैसला 26 नवंबर को सुनाया था। सन् 2005 में जिंदल को अंगुल जिले के शंकरजंग इलाके में कैप्टिव पॉवर तथा स्टील प्लांट के लिये ओडिशा औद्योगिक विकास निगम ने भूमि आवंटित की थी। इस औद्योगिक परिक्षेत्र में ही नंदीरा नदी स्थित है। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने अनाधिकृत रूप से नदी को हड़प लिया। नदी में मिट्टी पाटकर उसके ऊपर संयंत्र का निर्माण किया गया। राज्य अथवा केंद्र सरकार के सक्षम प्राधिकारियों से इस संबंध में कोई अनुमति नहीं ली गई है।

28 अप्रैल 2016 को जांच रिपोर्ट आई जिसमें जिला प्रशासन ने पाया कि जिंदल का संयंत्र नदी के ऊपर बनाया गया है। इसके लिये नदी को मिट्टी से भर दिया गया है। 3 जनवरी 2005 को जिंदल के साथ एक एमओयू ओडिशा सरकार के औद्योगिक विकास निगम के साथ हुआ था जिसमें कंपनी को पट्टे में आवंटित भूमि निर्धारित की गई थी। इसके बावजूद कंपनी ने निजी भूमि को भी अधिग्रहित कर लिया।
नंदीरा नदी शंकरजंग के जंगलों से निकली है और इसमें एक सहायक नदी भी आकर मिलती है। आगे चलकर यह एक लघु सिंचाई परियोजना परंग में समाप्त होती है। जिंदल ने वैकल्पिक चैनल प्रदान करते हुए नदी को मोड़ दिया है। नदी को इसलिये पाटा गया क्योंकि इससे उसे जल भराव की समस्या थी और संयंत्र की गतिविधि प्रभावित हो रही थी।
जेपीसीएल ने नदी के बहाव को मोड़ने के लिये कलेक संसाधन विभाग के अधिकारियों के समक्ष प्रस्ताव दिया था लेकिन उसे इसकी अनुमति नहीं मिली थी। स्वीकृति की प्रत्याशा में ही संयंत्र के लिये नदी पाट दी गई। ओडिशा विधानसभा की लोक लेखा समिति की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है नंदीरा नदी के जल बहाव को नष्ट कर दिया गया है।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि नाला विघटित करने तथा इससे पर्यावरण को क्षति पहुंचने की पुष्टि इन तथ्यों से होती है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि नंदीरा नदी के स्वरूप को बदल कर जेएसपीएल ने प्रकृति पर हस्तक्षेप किया है जिसे अब बहाल नहीं किया जा सकता है। इसलिये दो करोड़ रुपये का दंड आरोपित किया जाता है। इनमें से 1.50 करोड़ रुपये वन विभाग को नाले के पास रिक्त भूमि पर हरित आवरण बढ़ाने तथा जैव विविधता विकसित करने में खर्च करने के लिये दिया जाये, साथ ही 50 लाख रुपये ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा किये जायें। बोर्ड इस राशि के को परंग लघु सिंचाई योजना में पानी की गुणवत्ता पर निगरानी रखने के लिये खर्च करेगी।

ट्रिब्यूनल ने उन अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया है जिन्होंने नंदीरा नदी को नष्ट होने से बचाने के लिये आवश्यक कदम नहीं उठाये। ओडिशा सरकार के जवाब में इस बारे में ट्रिब्यूनल में कोई जवाब नहीं दिया गया है।

इससे पहले भी 2020 में एन जी टी ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में गैरकानूनी खनन, पर्यावरण को प्रदूषित करने और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालने को लेकर जिंदल पावर लिमिटेड (जेपीएल) पर 154.8 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

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