November 7, 2024

मक्का की खेती करने वाले किसानों को प्रदान की जाएगी निशुल्क बीज

कोरबा 19 दिसंबर। ग्रीष्म कालीन धान को प्रधानमंत्री बीमा योजना में इस वर्ष शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में जिला कृषि विभाग की ओर से कम पानी अधिक उपज वाली फसलों को बढ़ावा दी जा रही है। इस कड़ी में सामूहिक मक्का की खेती करने वाले किसानों को निशुल्क बीज प्रदान की जाएगी।

जिला कृषि विभाग ने इस रबी फसल के लिए 37930 हजार हेक्टेयर क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य तय किया गया है। जिसमें सिंचित व असिंचित क्षेत्र में मक्का, गेहूं के अलावा दलहन तिलहन के साथ आलू बुआई को वरीयता दी जा रही है। इन फसलों में प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत ऋणी व अऋणी दोनों तरह के किसानों को लाभ की सुविधा है। बीमा के एग्रीकल्चर कंपनी को नामांकित किया गया है। बीमा योजना के तहत किसानों से ली जाने वाली प्रीमियम व क्षति की स्थित में की जाने वाली भुगतान के बारे में जानकारी दी जा रही है। ग्रीष्म धान को बीमा योजना से हटाए जाने के पीछे शासन की यह मंशा है कि किसान धान के बजाय दलहन तिलहन अथवा सब्जियों की खेती में वरीयता दें। विभागीय अधिकारियों की माने तो धान उत्पादन में पानी की खपत अधिक होती है। एक किलो धान उत्पादन में 300 लीटर पानी की खपत होती है। ग्रीष्म के समय पेयजल की मारामारी होती है। जिन जगहों में खासी तादात में किसान धान की फसल लेते हैंए वहां भूजल स्त्रोत पर असर होता है। ऐसे में पेयजल आपूर्ति को सुचारू रूप से जारी कर पाना मुश्किल होता है। किसानों को ग्रीष्म धान के बजाय दलहन व तिलहन फसल लेने के लिए कहा जा रहा है। बीमा के लिए नाम मात्र का प्रीमियम तय की गई है। जिसमें किसानों के फसल क्षति होने की स्थिति में उन्हे प्रति हेक्टेयर दर से बीमा राशि प्रदान की जाएगी। योजना के प्रचार. प्रसार के लिए कृषि विस्तार अधिकारियों से कहा गया है। प्रति हेक्टेयर सरसों फसल की क्षति पर शासन ने अधिक रिस्क लिया गया है। प्रीमीयम राशि प्रति हेक्टेयर 277 रूपये तय की गई है। फसल क्षति की स्थिति में किसानों को 18 हजार 500 रूपये क्षतिपूर्ति राशि मिल सकेगी। सरसों व मक्का की खेती को बढ़ावा देने के पीछे मंशा यह है कम पानी में पर्याप्त फसल होती है। पानी की बचत के अलावा समानांतर खेती को बढ़ावा मिलेगा।

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