खुली खदानों से हो रहे प्रदूषण को रोकने विकसित होगा ग्रीन बेल्ट
कोरबा 28 दिसंबर। खुली खदानों से हो रहे प्रदूषण को रोकने की कवायद प्रबंधन ने शुरू कर दी है। खदान क्षेत्र में पानी का छिड़काव, क्रांकीट सड़क, खदान क्षेत्र में पौधारोपण कर ग्रीन बेल्ट विकसित करने पर जोर देते हुए कार्य योजना तैयार की जा रही है।
प्रबंधन व राष्ट्रीय धूल निवारण समिति की बैठक में प्रदूषण को लेकर सदस्यों ने चिंता व्यक्त की। सदस्यों ने कई प्रस्ताव भी प्रबंधन के समक्ष रखे। बैठक में कहा गया कि साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की गेवरा, दीपका, कुसमुंडा व मानिकपुर समेत विश्रामपुर, ब्रजराजनगर व अन्य खुली खदानों में कोयले के धूल के कारण काफी प्रदूषण हो रहा है। इसलिए खदानों में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिण कि शहरों में प्रदूषण कम हो सके। धूल निवारण समिति के सदस्य लक्ष्मण चंद्रा ने बताया कि बैठक में प्रदूषण को लेकर विभिन्न उपाय भी रखे गए। इसमें खदानों के उपर की रोड को ठीक रखते हुए डामर की जगह कांक्रीट का रोड बनने, पानी का टैंकर या वाटर स्प्रिंकलर के माध्यम से पानी का नियमित छिड़काव करने, खदानों की बाउंड्री में सघन पौधारोपण कर ग्रीन बेल्ट तैयार करने, डंपिंग स्थल जहां कार्य बंद हो चुका हो में सघन पौधारोपण किया जाएगा और इसके लिए मियावाकी विधि अपनानी चाहिए। इसके साथ ही अधिक धूल वाली जगहों मे वातावरण का धूल कम करने के लिए फाग केनन मशीन से पानी का स्प्रे कराना चाहिए। इन प्रस्तावों पर प्रबंधन ने सहमति भी जताते हुए कहा कि जल्द कार्ययोजना को मूर्तरूप देने के लिए सभी क्षेत्र के अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।
बैठक में ओपनकास्ट खदान खुली खदान के अंदर उड़ने वाले डस्ट को भी कम करने पर जोर देते हुए कहा कि ड्रिल व सरफेस माइनर मशीनों में इंटिग्रेटेड वाटर स्प्रेयिंग सिस्टम होने चाहिए। इन मशीनों के अंदर स्वछता का विशेष ध्यान रखते हुए अंदर के धूल को हटाने के लिए नियमित रूप से वैक्यूम क्लीनर से सफाई होनी चाहिए, साथ ही अन्य मशीनों के लिए भी यही व्यवस्था जानी चाहिए। सीएचपी व साइलो के चालू रहने पर सभी निर्धारित जगहों पर पानी छिड़काव की समुचित व्यवस्था की जाए, ताकि डस्ट न उड़े। गर्मी के दिनों में ओपन कास्ट खदानों के सम्प पंप में या अन्य जगहों में पर्याप्त मात्रा में पानी का भंडारन होना चाहिए, ताकि धूल कम करने हेतु पानी छिड़काव के लिए पानी कम न पड़े।