December 24, 2024

कोरबा 28 दिसंबर। जिले में चल रही धान खरीदी कार्य पर खराब मौसम का खतरा मंडराने लगा है। पिछले दो दिनों से बदली छाई है। मौसम विभाग ने 29 दिसंबर को बारिश की संभावना व्यक्त की है। इधर उपार्जन केंद्रों में धान की बढ़ रही आवक के विपरीत अब उठाव कम होने लगा है। 55 में 11 ऐसे केंद्र हैं जिसमे चबूतरा और गोदाम की सुविधा नहीं है। बारिश हुई तो यहां धान को नुकसान पहुंचना तय है।

खरीदी के 27 दिन के भीतर 6.94 लाख क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है। इसमें केवल 2.67 लाख का उठाव हो सका है। 4.27 लाख क्विंटल धान उपार्जन केंद्र में अब भी शेष है। डीओ जारी करने में बरती जा रही अनियमितता के कारण धान उपार्जन केंद्रों में जाम होने लगी है। दूर के उपार्जन केंद्रों के बजाय मिलर्स की सहूलियत मुताबिक नजदीक के केंद्रों के लिए डीओ दिया जा रहा। बारिश हुई तो बगैर शेड के चबूतरे में रखे धान का नुकसान होगा। जिले में जारी खरीफ की खरीदी के दौरान राज्य शासन ने सात नए केंद्रो की शुरुआत की है। नए केंद्रो में शेड के नाम पर केवल तिरपाल की सुविधा है। सपलवा और बेहरचुआ जैसे केंद्रो को धान खरीदी के शुरू होने के एक पखवाड़े बाद शुरू की गई है। ऐसे में इन केंद्रों में बिना डेनेज के ही धान छल्ली की जा रही। खरीदी के अनुरूप उठाव नहीं होने से धान बेचने आ रहे किसानों को उपार्जन केंद्र में धान रखने की समस्या हो रही है। कृषि विज्ञान केंद्र कटघोरा के मौसम विशेषज्ञ संजय भेलावे की माने तो छत्तीसगढ़ के मध्य क्षेत्र में शुष्क वायु के कारण कम दबाव का क्षेत्र बनने से 29 दिसंबर को बारिश की संभावना है।

जिला विपणन विभाग का कहना है कि इस बार 15 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। निर्धारित लक्ष्य के अनुसार अभी नौ लाख क्विंटल धान आना बाकी है। यहां यह भी बताना होगा कि इस बार 40 लाख किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया हैं। पंजीकृत किसानों में अभी केवल 13823 किसानों ने ही धान बेचा है।

राज्य शासन ने किसानों को धान बेचने सुवधिा देने के लिए उपार्जन केंद्रों में बढ़ोतरी की है। जारी खरीफ वर्ष में सात नए उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। इनमे नुनेरा, तुमान, रंजना, बेहरचुआए सपलवा आदि शामिल है। इस नया केंद्र होने के कारण यहां शेड और चबूतरा नहीं है। खुले आसमान के नीचे बिना डेजने के धान खरीदी हो रही। कनबेरी, देवरमाल ऐसे धान खरीदी केंद्र हैं जहां उपार्जन केंद्र शुरू होने के 11 साल बाद भी शेड और चबूतरा का निर्माण नहीं किया हैं। संकरा जगह में खरीदी होने केा कारण धान रखने की जगह नहीं है।

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