कोयला उत्पादन- कुसमुंडा, गेवरा, दीपका लक्ष्य से पीछे
कोरबा 2 जनवरी। चालू वित्तीय वर्ष का नौ माह गुजर गया पर साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड, एसईसीएल की खदान एक हजार लाख टन कोयला उत्पादन नहीं कर सकी। शेष 90 दिन में उत्पादन का 1720 लाख टन लक्ष्य हासिल करने कंपनी को प्रतिदिन लगभग नौ लाख टन कोयला निकालना होगा। अब तक 918.4 लाख टन ही कोयला निकल सका है। कंपनी की तीनों मेगा परियोजना कुसमुंडा, गेवरा समेत दीपका भी अपने लक्ष्य से पीछे चल रही है।
वित्तीय वर्ष के अप्रैल से दिसंबर तक कोयला उत्पादन के आंकड़े सामने आने के साथ ही एसईसीएल प्रबंधन चिंतित हो उठा है। कंपनी ने नौ माह के भीतर 1171.6 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा था, पर कंपनी इससे 253.2 लाख टन पीछे रह गई। अब प्रबंधन की नजर मेगा परियोजना गेवरा, दीपका व कुसमुंडा खदान पर टिकी हुई है। कंपनी को 1720 लाख टन का लक्ष्य है। बताया जा रहा है कि उत्पादन में पीछे रहने की वजह से उत्पादन लक्ष्य अंदरूनी तौर पर घटा दिया गया है, पर अधिकारी इस संबंध में कुछ भी खुल कर नहीं बोल रहे हैं। तीनों मेगा परियोजना के पीछे चलने की मुख्य वजह पहले कोरोना संक्रमण काल, फिर बारिश और उसके बाद भू. विस्थापितों के आंदोलन की वजह से खदान बंद होना है। कंपनी ने प्रतिदिन 5.60 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है पर अभी तक अधिकतम पांच लाख टन ही कोयला उत्पादन हो पा रहा है।
चालू वित्तीय वर्ष में उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए कंपनी को शेष अवधि में 801.6 लाख टन कोयला निकालना है, यानी प्रतिदिन नौ लाख टन उत्पादन होगा, तभी लक्ष्य हासिल करने में सफलता मिलेगी। कंपनी से जुड़े जानकारों का कहना है कि कंपनी ने अभी 910 लाख टन से ज्यादा कोयला निकाला है, पर यह आंकड़ा पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक है। वहीं कंपनी भले ही अभी पीछे चल रही है, पर शेष माह में उत्पादन बढ़ा कर लक्ष्य के करीब पहुंचा जा सकता है। इसके लिए तीनों खदान पर जोर देना होगा। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि चालू वित्तीय वर्ष में गेवरा को 490, दीपका को 400, कुसमुंडा को 450 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। यहां बताना लाजिमी होगा कि पिछले अप्रैल से दिसंबर में हुए उत्पादन की अपेक्षा इस बार कंपनी ने ज्यादा कोयला उत्पादन किया।