November 21, 2024

अपनी कुर्सी बचाने चावल की गुणवत्ता परीक्षण में अफसरों ने किया घालमेल

खाद्य विभाग की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल

कोरबा 2 जनवरी। जिले के वेयर हाउस कारपोरेशन के गोदामों में गुणवत्ताहीन चावल के परीक्षण में बड़ा घालमेल किये जाने की खबर है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए अफसरों ने बिना परीक्षण कराए ही अधिकांश चावल को मानक के अनुरूप बता दिया और कुछ लोगों के चावल को अमानक करार दे दिया।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों जिले के राशन दुकानों में बगरी चावल वितरण की शिकायत सामने आई थी। इसके बाद कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में चावल की जांच का आदेश जारी किया था। चावल की गुणवत्ता जांच के लिए उन्होंने एक समिति को जिम्मेदारी दी थी। समिति ने कोरबा और छूरी के गोदामों में कथित रूप से जांच की।

अधिकारिक जानकारी के अनुसार कोरबा और छूरी के गोदामों में उपलब्ध 59 स्टेक के चावल का सैम्पल लिया गया। जांच में 54 स्टेक का चावल मानक श्रेणी का पाया गया। जबकि 05 स्टेक में 16,001 बोरी का 6,255 क्विंटल चांवल अमानक मिला। इनमें ब्रोकन और बगरी डिस्कलर निर्धारित मापदण्ड से अधिक पाया गया। कलेक्टर ने खराब गुणवत्ता के चावल को वापस देकर मानक श्रेणी का चावल जमा कराने का निर्देश दिया है।

दूसरी ओर चावल की गुणवत्ता जांच के लिए गठित समिति इस कार्रवाई के बाद संदेह के दायरे में आ गयी है। चर्चा है कि समिति ने चावल की गुणवत्ता का परीक्षण ही नहीं कराया है। नियमानुसार चावल का सेम्पल लेते समय राइस मिल मालिकों को गोदाम में बुलाना था। लेकिन उन्हें सूचना ही नहीं दी गई। कोरबा और छूरी के गोदाम में जांच करना बताया गया है, जबकि कटघोरा गोदाम में जांच नहीं कि गई है। कटघोरा में बड़ी मात्रा में तीन माह से चावल रुका हुआ है। वहां सेम्पल ही नहीं लिया गया है। इसी प्रकार पाली के गोदाम में भी चावल की गुणवत्ता का परीक्षण नहीं किया गया है। कटघोरा और पाली में निष्पक्ष जांच करने पर बड़ी गड़बड़ी मिलने की संभावना जताई जा रही है। चर्चा है कि जिले के पूरे चावल की गुणवत्ता का निष्पक्ष रूप से परीक्षण करने पर बड़ा घोटाला सामने आ सकता है और सम्बंधित अधिकारियों पर जांच से लेकर तबादला तक का गाज गिर सकता है। यही वजह है कि पूरे मामले में लीपापोती कर दी गई। एक अन्य चर्चा यह भी है कि जिन राइस मिलर्स ने कथित रूप से सेवा सत्कार किया उन्हें अभयदान दे दिया गया और जिन्होंने चढ़ावा नहीं दिया उनके चावल को अमानक बता दिया गया। बहरहाल पूरी कार्रवाई सन्देह के दायरे में आ गई है और वरिष्ठ अधिकारी से निष्पक्ष जांच कराने की जरूरत महसूस की जा रही है।

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