November 7, 2024

मांगों को लेकर जीवनदीप समिति के कर्मी कल से करेंगे हड़ताल

कोरबा 17 जनवरी। जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर मरीजों की समस्याएं बढऩे जा रही है। कारण यह है कि छेरछेरा के अगले दिन से यहां पर अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले जीवनदीप समिति के कर्मचारी खुद को अलग-थलग करेंगे। उनकी तीन मांगों को लेकर पिछले महीने हुए आंदोलन पर अस्पताल अधीक्षक की ओर से आश्वासन दिया गया था। इसके कोई नतीजे नहीं आने से कर्मी नाराज हैं। उनके नए ऐलान ने अस्पताल प्रबंधन को परेशान कर दिया है। जिले में काम कर रहे जीवनदीप समिति के सवा सौ कर्मी 18 जनवरी से फिर हड़ताल करने के मूड़ में है। आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग ने मांगो पर विचार करने में गंभीरता नही दिखाई। जबकि अधिकारी की ओर से लिखित आश्वासन दिया गया था। इसलिए कर्मचारियों में काफी हताशा और नाराजगी है।

सरकारी जिला अस्पताल में 76 और जिले के अन्य अस्पताल में जीवनदीप समिति के द्वारा रखे गए 125 से ज्यादा कर्मियों की 3 मांगों को लेकर टकराव कायम है। वेतन, अवकाश और सुविधा की मांग ये लोग कर रहे है। अध्यक्ष दिलचंद लदेर ने बताया कि पिछले माह हड़ताल के बाद सिविल सर्जन ने लिखित आश्वासन दिया लेकिन ये सब झुनझुना साबित हुआ। कर्मचारियों का कहना है कि हड़ताल से पैदा होने वाली समस्या के लिए स्वास्थ्य विभाग ही जिम्मेदार होगा। समयसीमा बीतने के साथ कर्मचारियों ने अपने इरादे साफ कर दिए है। समिति के कर्मचारियों में वाहन चालक से लेकर नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्निशियन और फार्माशिस्ट शामिल हैं। पिछले 12 वर्षों से इन लोगों की सेवाएं स्वास्थ्य विभाग ले रहा है लेकिन संबंधित मांगों की तरफ गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। ऐसे में कर्मियों का कहना है कि अधिकारियों को बैकफुट पर लाने के अलावा और कोई चारा नहीं है। अब अधिकारियों पर निर्भर करेगा कि हड़ताल टाली जाय अथवा होने दी जाय।

दिसंबर महीने में जीवनदीप समिति के कर्मचारियों ने कलेक्टर रेट पर वेतन देने सहित तीन मांगों को लेकर कामकाज ठप कर दिया था। इसके चलते सर्वाधिक असर जिला अस्पताल की व्यवस्था पर पड़ा था। तीन दिन तक यहां पर कामकाज की दुर्गति होने से जहां नियमित स्टाफ प्रेशर में आ गया वहीं स्वास्थ्य सेवाओं के गड़बड़ाने से अस्पताल के वार्डों सहित अन्य इकाईयों में अजीब तस्वीर निर्मित हो गई। इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन और नगर निगम आयुक्त कुलदीप शर्मा ने बातचीत की थी। मसले को टालने के उद्देश्य से तत्कालिक तौर पर बैठक करने के साथ मांगों पर विचार करने की बात कही गई थी लेकिन फिर इसे किनारे कर दिया गया।

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