मिर्ची @ गेंदलाल शुक्ल
कोरबा कांग्रेस का भस्मासुर
कोरबा के कांग्रेस नेता इन दिनों अपनी पार्टी के भस्मासुर संस्करण से परेशान हैं। अपनी अनुशासनहीन गति विधियों से यह भस्मासुर पार्टी और जन प्रतिनिधियों की अच्छी खासी किरकिरी करा रहा है। पार्टी नेता असमंजस में है। वे यही नहीं समझ पा रहे हैं कि इस भस्मासुर को नमूदार करने में किसका हाथ है। कोई वरिष्ठ नेता डॉ. चरणदास महंत का नाम लेता है, तो कोई राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का। लेकिन यह केवल अनुमान है। वास्तविकता से सब अनजान है। यह भस्मासुर कभी साम्यवादी चोला पहन लेता है, तो कभी जोगी जोगी गाता है। इस करामती की खूबी देखिये कि इसे भगवारंग में भी तर- बतर होते देर नहीं लगती। इसका समय-समय पर अलग- अलग नेता राजनीतिक उपयोग भी करते रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने तो पिछले दिनों एक प्रसंग में यह भी कहा कि भस्मासुर विपक्ष से मिलकर पार्टी की फर्जीहत करा रहा है। लेकिन भस्मासुर अपनी मदमस्त चाल से आगे बढ़ रहा है और कांग्रेस जन हाथ मल रहे हैं।
भस्मासुर की आंच से झुलस रहे कई दफ्तर
कथित रूप से कांग्रेस के इस भस्मासुर के कई रूप हैं। परिवार के पालन पोषण के लिए ये नजराना, शुकराना, जबराना सभी रास्तों का विशेषज्ञ माना जाता है। अब कांग्रेस सरकार में उपहार में मिले नये लबादे ने इसका हौसला और बढ़ा दिया है। दफ्तर- दफ्तर घुमना और मलाई बटोरना रोज का काम हो गया है। धमक ऐसी दिखाना कि सामने वाला लाचार हो जाये। स्थानीय नेताओं से लेकर मुख्यमंत्री और बड़े- बड़े नेताओं तक सम्पर्क की ऐसी तस्वीर पेश करता है कि लोगों के पसीने छूट जाते हैं। लोग देख रहे हैं, कांग्रेस की साल दर साल सेवा करते आ रहे शहर के पचासों नामचीन लोग मेवा से वंचित हैं और एक खुराफाती पूरी डलिया सिर पर लिये घूम रहा है। बेचारों को भस्मासुर की महत्ता स्वीकार करना ही पड़ता है।
आखिर बुझ ही गई शमा
कोरबा जिले के कटघोरा में एक शमा रौशन थी। इसकी रौशनी से जिले से लेकर राजधानी तक जगमग थे। इन्होंने करीब दो साल में कई करतब दिखाए। एक बार तो पाली तानाखार विधायक मोहित केरकेट्टा ने एक हाथ से गंभीर आरोप पत्र जारी किया और दूसरे हाथ से वापस भी ले लिया। कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर भी कभी तुनक जाते तो कभी पिघल जाते रहे। इन दोनों विधायकों की जोड़ी अजीब है। बहरहाल इधर शमा का सामना कलेक्टर रानू साहू से हो गया। रानू साहू ने कहा वन भूमि पर स्कूल बनाना है। सहमति दो। शमा ने इनकार कर दिया। रानू साहू ने कहा- बोरिया- बिस्तर बांध लो। शमा बादशाह अकबर के दरबार में हाजिर हुई, पर कोई फायदा नहीं मिला। बोरिया -बिस्तर बंध ही गया। लपलपाती शमा बुझ ही गई। कटघोरा के कई घरों में अंधेरा पसर गया। कोरबा जिले के कई सफेदपोश बेनूर हो गए। लेकिन कलेक्टर के चेहरे की चमक और बढ़ गई। पहले ही कहते हैं- मैडम, दफ्तर में रहें, न रहें पर लगाम ऐसी खींच रखी हैं कि अधीनस्थ पूरी ईमानदारी से ड्यूटी बजाते हैं। अब तो ओव्हर टाइम भी करेंगे। आखिर जल्दी घर जाकर करेंगे भी क्या? इससे अच्छा है दफ्तर का बोझ ही हल्का कर लें, अंततः पेंडिंग भी तो उन्हीं को निपटाना है।
कटेंगे पेड़, बसेंगी बस्तियां
जिला मुख्यालय में हजारों पेड़ खतरे में हैं। गर्ल्स कॉलेज के पीछे, हेलीपेड के बगल में एस ई सी एल ने वर्षों पहले हजारों पौधे रोपे थे। अब ये पौधे वृक्ष बन गए हैं। इन वृक्षों के चलते इस क्षेत्र का पर्यावरण बचा हुआ है। लेकिन यह कब तक बचा रहेगा कहना कठिन है। दरअसल, इस इलाके में सैकड़ों लोगों ने रस्सी, कपड़े बांधकर और गड्ढे खोदकर बेजा कब्जा शुरू कर दिया है। वार्ड पार्षद की शिकायत पर एक बार नगर निगम और राजस्व अमला कब्जा हटा चुका है। लेकिन अब पहले से भी अधिक लोगों ने दोबारा कब्जा कर लिया है। क्षेत्रीय पार्षद की शिकायत की भी अब कोई सुनवाई नहीं हो रही है। एस ई सी एल प्रबंधन भी पिछले लंबे समय से बार बार जिला प्रशासन से शिकायत कर रहा है, परन्तु नतीजा शून्य है। खेद का विषय है कि राजनीतिक दल के नेता भी वोट बैंक के कारण चुप्पी साधे बैठे हैं। सन्देह है कि कांग्रेस की शह पर बेजा कब्जा हो रहा है। लेकिन वोट खराब होने के डर से भाजपा नेता ख़ामोशी की चादर ओढ़कर सो रहे हैं। आम शहरी को पेड़ कटने या बेजा कब्जा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। लिहाजा वे भी मूक दर्शक बने हुए हैं। जिला मुख्यालय में कानून से ऐसा खिलवाड़ चिंता पैदा करने के लिए काफी है।
मिर्ची @ गेंदलाल शुक्ल, सम्पर्क- 098271 96048