रोजगार एकता संघ ने फिर खोला मोर्चा, कुसमुंडा खदान को कराया बंद
कोरबा 26 फरवरी। कुसमुंडा खदान अंतर्गत रोजगार से संबंधित मांगो तथा कार्यरत आउटसोर्सिंग निजी कंपनियों द्वारा लगातार मजदूरों एवं कर्मचारियों के शोषण को लेकर रोजगार एकता संघ,भू-विस्थापित ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है।
आज संगठन के कार्यकर्ताओं ने खदान में प्रवेश कर उत्खनन एवं कोयला परिवहन को बंद करा दिया। जिसे कामकाज काफी देर तक बाधित रहा। ज्ञात रहे रोजगार एकता संघ के द्वारा रोजगार से संबंधित मामले को लेकर कुसमुंडा खान प्रबंधक को विज्ञप्ति प्रेषित करने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे संघ के पदाधिकारियों ने पहली बार 31 अक्टूबर को रोजगार संबंधित मांगों को लेकर 12 घंटे तक खदान बंद करवा दिया था। तत्पश्चात 1 नवंबर को फिर से भूविस्थापितों द्वारा रोजगार संबंधित मांगों को लेकर खदान परिसर में 8 घंटे का हड़ताल किया गया था, जिसमें रोजगार एकता संघ के 16 व्यक्तियों को प्रशासन के द्वारा एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया गया था। 1 जनवरी 2022 को जिला कोरबा रोजगार एकता संघ विस्थापित के द्वारा कुसमुंडा खान प्रबंधक कार्यालय परिसर में भूविस्थापितों ने अर्धनग्न धरना प्रदर्शन किया गया था। बावजूत एसईसीएल के अधिकारियों के कानों में जू तक नही रेंगा उल्टा एसईसीएल के नोडल अधिकारी ने भू-विस्थापितों के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि संघ द्वारा रोजगार संबंधित लिस्ट कुसमुंडा खान प्रबंधक कार्यालय में जो दी गई है उस लिस्ट पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया जाएगा, आप खदान बंद करवा सकते हैं इसके लिए आप पूर्ण रुप से स्वतंत्र हैं। नोडल अधिकारी की इस बात को लेकर आक्रोशित रोजगार एकता संघ भू-विस्थापित द्वारा आज सुबह 5 बजे कुसमुंडा खदान में प्रवेश कर विरोध प्रदर्शन किया और खदान मेंं कोयला उत्खनन व परिवहन का बंद करवा दिया। रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष राधेश्याम कश्यप ने बताया कि कुसमुंडा खदान अंतर्गत आउटसोर्सिंग निजी कंपनियों द्वारा मजदूरों एवं कर्मचारियों का शोषण एवं अत्याचार किया जा रहा है।
हाई स्किल्ड लेबर कोर कमेटी नई दिल्ली एसईसीएल द्वारा निर्धारित की गई पेमेंट ना देकर कुसमुंडा खदान अंतर्गत निजी कंपनी वोल्टास एवं अन्य कंपनी के द्वारा मजदूरों को 18000 की दर से पेमेंट दिया जा रहा है, उस पर भी किसी के अकाउंट में पेमेंट की कटौती भी की जा रही है। ऐसे ही पेमेंट देने में भी विलंब किया जाता है कुसमुंडा खदान में निजी कंपनियों द्वारा अंग्रेज शासन लागू है। उनके अनुसार रोजगार से संबंधित मामले को लेकर कुसमुंडा खान प्रबंधन मौन है। प्रबंधन का ध्यानाकर्षन के बावजूद आज पर्यंत तक विस्थापित मजदूरों को रोजगार नहीं दिया गया। आलम यह है कि विस्थापित सड़कों पर उतरे हैं खाने के लाले पड़े हुए हैं आर्थिक स्थिति की तंगी है खदान में जिनकी जमीनें गई हैं उन्हें रोजगार नहीं दिया जा रहा इस प्रकार की अंग्रेजी शासन कुसमुंडा खदान में चल रही है।