December 23, 2024

120 वैगन के लांगहाल से सात राज्यों के बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति

कोरबा 10 मई। देश के विद्युत संयंत्रों को कोयला संकट से उबारने कोल इंडिया से संबद्ध कंपनी साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड  एसईसीएल की खदानों से उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। उसी के अनुरूप रेलवे ने भी परिवहन बढ़ा दिया है। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब के विद्युत संयंत्रों के लिए 120 वैगन वाली लांगहाल दो मालगाड़ी जोड़ करद्ध रैक चलाई जा रही है। 20 यात्री गाड़ियां अभी बंद है। ट्रैक खाली होने से मालगाड़ी के फेरे भी बढ़ा दिए गए हैं।   

देश के कुल कोयला उत्पादन व आपूर्ति में सर्वाधिक एसईसीएल की 25 फीसद भागीदारी है। छत्तीसगढ़ में संचालित कोयला खदानों में पिछले 25 दिनों से औसतन प्रतिदिन 4.50 लाख टन कोयले का उत्पादन हो रहा, इतना ही कोयला का परिवहन भी किया जा रहा। तपती गर्मी में भी खदानों में 24 घंटे उत्खनन के साथ परिवहन का कार्य किया जा रहा। एसईसीएल से सात राज्यों के बिजली संयंत्रों को मालगाड़ी से कोयले की आपूर्ति की जा रही। संकट को देखते हुए दो मालगाड़ी को एक साथ जोड़ कर लांगहाल रैक भी शुरू कर दिया गया है। हर एक दिन के अंतराल में छत्तीसगढ़ से बाहर 120 वैगन वाली यह रैक भेजी जा रही, ताकि कम समय में अधिक से अधिक कोयला संयंत्रों को मिल सके। लांगहाल में दो आगे व दो बीच में इंजन लगाया जा रहा। आवश्यकता पड़ने पर अंतिम में भी एक इंजन लगाते हैं। इस लंबी मालगाड़ी से फायदा यह हो रहा है कि पहले एक बार में 3600 टन कोयला पहुंचता था, वह बढ़ कर 7200 टन हो गया है। इसके साथ ही मालगाड़ी के फेरे भी बढ़ा दिए गए हैं। पहले 36 रैक कोयला भेजा जा रहा था, अब प्रतिदिन औसतन 47 रैक भेजा जा रहा। 11 अतिरिक्त रैक की आपूर्ति होने से छत्तीसगढ़ समेत महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश व राजस्थान के बिजली संयंत्रों को राहत मिली है।   

एसईसीएल की खदानों से प्रतिदिन 4.65 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। अधिकारियों ने संकट को देखते हुए इसे बढ़ा कर पांच लाख टन प्रतिदिन उत्पादन करने कहा है। एक तरफ  कोयला उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन रैक उपलब्ध नहीं हो पा रहा। रेलवे को प्रतिदिन 52 रैक उपलब्ध कराने कहा गया है, पर अब तक 47 से अधिक रैक उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। कई बार साइडिंग से मालगाड़ी रवाना होने के बाद भी रैक नहीं पहुंचते हैं। इस दौरान समय व्यर्थ होने की वजह से इसका असर परिवहन पर पड़ता है। राज्य के कोरबा में संचालित डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र में मात्र पांच दिन के कोयले का स्टाक है। खदानों में कोयला तो पर्याप्त है, पर रैक की कमी की वजह से संयंत्र तक समय पर कोयला पहुंच नहीं पा रहा। कार्यपालक निदेशक एसके बंजारा का कहना है कि हमने रेलवे व एसईसीएल प्रबंधन को पत्र लिख कर आपूर्ति बढ़ाने कहा है। उधर तमनार, बिंझकोट बिजली संयंत्र में भी पांच से सात दिन का कोयला है। मड़वा, बाल्को समेत अन्य संयंत्रों में 17 से 25 दिन का कोयला उपलब्ध है।   

भले ही बिजली संयंत्रों में निर्बाध कोयला की आपूर्ति की जा रही हो, पर राज्य के कैप्टिव पावर प्लांट सीपीपी आधारित 250 संयंत्रों को कोयला संकट का सामना करना पड़ रहा। एसईसीएल ने पहले आक्शन की तारीखों को बढ़ाया, फिर रद्द कर दिया। फ्यूल सेल एग्रीमेंट के तहत उपभोक्ताओं को मिलने वाले कोयले की मंथली सेड्यूल क्वांटिटी एमएसक्यू को 100 से कम कर 75 फीसद कर दिया। अब रैक से कोयला आपूर्ति पूरी तरह बंद कर दिया गया है। सड़क मार्ग से केवल 25 फीसद कोयला मिल रहा। कई उद्योग तालाबंदी की कगार पर पहुंच गए हैं।

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