अमृतसर-जामनगर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर, जो 2023 तक हो जाएगा पूरा
नईदिल्ली 24 मई। भारत में लगभग 62.16 लाख किलोमीटर सड़क नेटवर्क है, जो लंबाई के मामले में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है। वैसे तो देश में पहले से ही आवागमन में सहूलियत के लिए कई नई सड़कों का निर्माण हो रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से सड़कों के आस पास वृक्षारोपण, सौंदर्यीकरण और रखरखाव पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसी के तहत केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा देशभर में ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे बनाये जा रहे हैं। भारतमाला परियोजना के तहत देश में 8000 किलोमीटर लंबे 22 ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स बनाए जा रहे हैं। जिसमें 5 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे और 17 एक्सप्रेस कंट्रोल्ड ग्रीन्डफील्ड नेशनल हाईवे शामिल है।
*अमृतसर-जामनगर सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनफील्ड कॉरिडोर*
इन्हीं में से अमृतसर-जामनगर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का निर्माण 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस बारे में केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि अमृतसर-जामनगर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर एनएचएआई द्वारा विकसित किए जा रहे सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनफील्ड कॉरिडोर में से एक है और इसका निर्माण पूरी क्षमता से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरा कॉरिडोर सितम्बर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है। केंद्रीय मंत्री ने विशेष रूप से सूचित किया कि बीकानेर से जोधपुर तक 277 किलोमीटर के खंड को इस वर्ष के अंत तक पूरा करने और जनता के लिए खोलने का लक्ष्य है।
*चार राज्यों से होकर गुजरेगा अमृतसर-जामनगर ग्रीनफील्ड
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि 1,224 किलोमीटर लंबा प्रमुख अमृतसर-भटिंडा-जामनगर कॉरिडोर 26,000 करोड़ रुपये की कुल पूंजीगत लागत से बनाया जा रहा है और यह चार राज्यों- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के अमृतसर, बठिंडा, संगरिया, बीकानेर, सांचौर, समाखियाली और जामनगर जैसे आर्थिक शहरों को जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ग्रीनफील्ड कॉरिडोर के निर्माण के साथ हम देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
*औद्योगिक क्रांति को मिलेगा बढ़ावा*
उन्होंने कहा कि कॉरिडोर देश के उत्तरी औद्योगिक और कृषि केंद्रों को पश्चिमी भारत के प्रमुख बंदरगाहों जैसे जामनगर और कांडला से जोड़ेगा। इससे बद्दी, बठिंडा और लुधियाना के औद्योगिक क्षेत्रों के मुख्य मार्ग से निकले हुए रास्तों और दिल्ली -अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे के जम्मू और कश्मीर राज्य के जुड़ने से औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा मिलेगा। राजमार्ग मंत्री ने कहा कि ट्रांस-राजस्थान कॉरिडोर पारगमन समय और ईंधन की रसद लागत को काफी कम कर देगा, इससे प्रतिस्पर्धी वैश्विक निर्यात बाजार में खड़ा होने में मदद मिलेगी।
*क्या है ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे*
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस उसे कहते हैं, जो हरे-भरे इलाकों से निकाले जाते हैं। इन्हें ‘ग्रीन कॉरिडोर’ भी कहा जाता है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस के माध्यम से आबादी वाले इलाकों से बचने की कोशिश की गई है, इसके जमीन सस्ते में मिल सके, साथ ही उन पिछड़े इलाकों के लोगों के लिए ऐसा एक्सप्रेसवे नए आर्थिक अवसर पैदा करेगा।
*2018 में की गई ग्रीन कॉरिडोर की पहचान*
जुलाई 2018 में केंद्र सरकार ने ऐसे 5 इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की पहचान की, जिन्हें ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा सकता है। इसके लिए ट्रैफिक मूवमेंट को स्टडी किया गया और साथ ही यह देखा गया कि इंडस्ट्रियल सेंटर में बनने वाले सामान को कंजम्पशन सेंटर और पोर्ट्स तक ले जाने की सुविधा बढ़ाई जा सके। यानि व्यापार करने में सहूलियत बढ़ाई जा सके।
*वृक्षारोपण से होगा लोगों को फायदा*
ग्रीन कॉरिडोर की खास बात ये है कि इसमें वृक्षारोपण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। वृक्ष की संख्या बढ़ने से, वाहनों की वृद्धि की वजह से बढ़ने वाले ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव कम होगा और तटबंध ढलानों पर मिट्टी के कटाव को रोकते हैं, परिणाम स्वरूप राजमार्गों का जीवन बढ़ जाता है। वृक्ष न केवल वाहनों की हेड लाइट की रोशनी को रोकते हैं बल्कि हवा और आने वाले विकिरण के प्रभाव को भी कम करते हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक कुल परियोजना लागत का 1 प्रतिशत वृक्षारोपण निधि के रूप में रखने का निर्णय लिया है जो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास एक अलग खाते में रखा जाएगा।
*साल 2025 तक पूरा होने की उम्मीद*
इन 22 एक्सप्रेसवे को 2025 तक पूरा करने की बात कही गयी है। हालांकि इनमें से तीन एक्सप्रेसवे को पूरा करने की डेडलाइन साल 2022 रखी गयी है। इनमें दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, ट्रांस-राजस्थान, यानी राजस्थान के अंदर, ट्रांस-हरियाणा, यानि हरियाणा पर सबसे पहले काम हो रहा है। वहीं अब अमृतसर- जामनगर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।