2023 तक पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ होगा लॉन्च
नईदिल्ली 12 जून। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में मजबूती,आर्थिक और सुरक्षा दोनों दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार अंतरिक्ष अनुसंधान को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत 2023 में पहले मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” की शुरूआत कर अनूठा गौरव प्राप्त करेगा।
गगनयान का कार्यक्रम
दरअसल, गगनयान मिशन का परीक्षण अंतिम चरण में पहुंच चुका है। प्रमुख मिशन अर्थात् क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन का सत्यापन करने के लिए टेस्ट वाहन उड़ान और गगनयान (जी 1) का पहला अनक्रूडेड मिशन 2022 की दूसरी छमाही में पूरा करना निर्धारित किया गया है। इसके बाद 2022 के अंत में इसरो द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष यात्री मानव रोबोट के दूसरा अनक्रूड मिशन “व्योममित्र” और 2023 में पहले चालक दल वाले गगनयान मिशन को पूरा किया जाएगा।
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक मिशन है। इसरो के शेड्यूल के तहत इसे वर्ष 2023 में लॉन्च किया जाएगा, जिसमें तीन अंतरिक्ष अभियानों को कक्षा में भेजा जाएगा। इन तीन अभियानों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा। मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, जिसे ऑर्बिटल मॉड्यूल कहा जाता है, में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे। यह मिशन 5-7 दिनों की अवधि में पृथ्वी से 300-400 किमी. की ऊंचाई पर लो अर्थ ऑर्बिट में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय प्रक्षेपण यान पर मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है।
इसरो कैसे कर रहा है क्रियान्वित
गगनयान मिशन की सफलता प्रमुख राष्ट्रीय प्रयास से संभव हो पाएगा। इसरो के द्वारा पूरे मिशन समन्वय, सिस्टम इंजीनियरिंग और कार्यान्वयन किया जाएगा। इसके अलावा, मानव रेटेड लॉन्च वाहन, क्रू एस्केप सिस्टम, ऑर्बिटल मॉड्यूल और आवश्यक बुनियादी ढांचे को इसरो द्वारा आंतरिक विशेषज्ञता का उपयोग करके और उद्योग, अकादमिक और राष्ट्रीय एजेंसियों की भागीदारी के साथ मिशन को आगे बढ़ाएगा। देश में निजी कंपनियों ने विशिष्ट क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विशेषज्ञता विकसित की है, जिसका उपयोग इस कार्यक्रम में प्रभावी ढंग से किया जाएगा।
मिशन अबोर्ट व्यवस्था से होगा लैस
गगनयान मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्रियों को किसी भी आपात स्थिति से सुरक्षित रखने के लिए यह आपातकालीन निकास और आपातकालीन मिशन अबोर्ट व्यवस्था से लैस होगा। इसके लॉन्च के लिए तीन चरणों वाले GSLV Mk-III का उपयोग किया जाएगा, जो भारी उपग्रहों के लॉन्च में सक्षम है। GSLV Mk-III को लॉन्च वाहन मार्क-3 (Launch Vehicle Mark-3 or LVM-3) भी कहा जाता है। इस मिशन में क्रू मॉड्यूल- मानव को ले जाने वाला अंतरिक्षयान और सर्विस मॉड्यूल- दो तरल प्रेरक इंजनों द्वारा संचालित पेलोड में शामिल होंगे।
रूस में प्रशिक्षण
जून 2019 में इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र तथा रूस सरकार के स्वामित्व वाली Glavkosmos ने भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये, जिसमें उम्मीदवारों के चयन में रूस का समर्थन, चयनित यात्रियों का चिकित्सीय परीक्षण तथा अंतरिक्ष प्रशिक्षण शामिल हैं।
मिशन का महत्व
यह देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के स्तर को बढ़ाने तथा युवाओं को प्रेरित करने में मदद करेगा। गगनयान मिशन में विभिन्न एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, उद्योगों और विभागों को शामिल किया जा रहा है। यह औद्योगिक विकास में सुधार करने में मदद करने के साथ-साथ सामाजिक लाभों के लिये प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करेगा। कई देशों के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station-ISS) पर्याप्त नहीं हो सकता है क्योंकि क्षेत्रीय पारिस्थितिक तंत्र को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है, इसलिए यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के क्रम में क्षेत्रीय जरूरतों- खाद्य, जल एवं ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा।
भारत के आगामी मिशन
चंद्रयान-3 मिशन: भारत ने चंद्रयान-3 नामक नए चंद्रमा मिशन की योजना बनाई है। जिसके प्रक्षेपण (Launch ) की संभावना अगस्त 2022 तक है।
शुक्रयान मिशन: इसरो भी शुक्र के लिये एक मिशन की योजना बना रहा है, जिसे अस्थायी रूप से शुक्रयान कहा जाता है। सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ाने हेतु किये जा रहे सुधारों के क्रम में हाल ही में एक नए संगठन IN-SPACe के गठन की घोषणा की है।
गगनयान मिशन के प्रक्षेपण के साथ ही भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।