November 7, 2024

पूर्व आईएएस ओपी चौधरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज..जानिये पूरा मामला..क्या है धारा 505,1-बी

कोरबा 12 जून। पूर्व आईएएस और प्रदेश भाजपा के महामंत्री ओपी चौधरी द्वारा 18 मई 2022 को अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो प्रसारित किया गया था। इसे कोरबा जिले के गेवरा माइंस में कोयला चोरी का वीडियो होना बताया गया था। इस वीडियो की वजह से पुलिस और प्रशासन की फजीहत हुई। राजनीतिक बयानबाजियों का भी दौर चला। बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी ने वीडियो की जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया था। इस वीडियो को फर्जी होने का दावा करते हुए थाना बाकीमोगरा क्षेत्र के निवासी मधुसूदन दास यादव के ने शिकायत दजऱ् कराई थी। मामले में पूर्व आईएएस ओपी चौधरी के विरुद्ध धारा 505,1-बी भादवि के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। यह बताना होगा कि इस वीडियो के प्रसारित होने के बाद आनन-फानन में दीपका व हरदी बाजार थाना प्रभारियों को लाइन अटैच करने की कार्रवाई की गई थी।   

पूर्व आईएएस चौधरी द्वारा अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो प्रसारित किए जाने के बाद यह इंटरनेट मीडिया में तेजी से प्रसारित होने लगा। वीडियो में कोयला खदान में एक साथ हजारों लोग बोरियों में कोयला निकालते और गाडिय़ों में लोड करते नजर आ रहे थे। इस मामले पूर्व आइएएस व भाजपा नेता चौधरी ने वीडियो ट्वीट कर दावा किया कि यह वीडियो कोरबा में संचालित साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड  एसईसीएल की गेवरा खदान की है। उन्होंने यह भी कहा कि कोयला चोरी का खेल चल रहा है। हजारों मजदूर व सैकड़ों गाडिय़ों से खुलेआम कोयले की चोरी की जा रही है। छत्तीसगढ़ में सब कुछ अति की सीमा को पार कर चुका है। इसके ट्वीट के बाद पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारी हरकत में आ गए और आनन फानन में बिलासपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक आइजी रतनलाल डांगी ने जांच कमेटी का गठन कर दिया। इधर पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने कोयले के अवैध परिवहन में लगे वाहनों की धरपकड़ शुरू कर दी। हरदीबाजार पुलिस चौकी व कुसमुंडा, दीपका थाना में अलग अलग कार्रवाई करते हुए पिकअपए ट्रक समेत सात वाहन जब्त किए गए हैं। सभी वाहनों के चालकों के खिलाफ चोरी के संदेह का मामला बनाते हुए धारा 41.1.4, के तहत कार्रवाई की है। सूत्रों का दावा है कि मामले में पुलिस अधीक्षक ने दो थानेदारों को निलंबित कर दिया है। वहीं जिले से तबादला हो चुके कुसमुंडा थाना प्रभारी लीलाधर राठौर को तत्काल प्रभाव से रिलीव कर दिया गया है।     

भारतीय दंड संहिता,1860 आईपीसी की धारा 505 1,बी/ ख/ उन मामलों से सम्बंधित है, जहाँ किसी कथन, जनश्रुति या सूचना को, इस आशय से किए या जिससे यह सम्भाव्य हो किए सामान्य जन या जनता के किसी भाग को ऐसा भय या संत्रास कारित हो, जिससे कोई व्यक्ति राज्य के विरुद्ध या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के लिए उत्प्रेरित हो, रचित, प्रकाशित या परिचालित किया जाता है। दूसरे शब्दों में जब कोई व्यक्ति कोई कथन,जन श्रुति या रिपोर्ट को रचता, प्रकाशित या परिचालित करता है और उसका आशय यह हो या यह सम्भावना हो कि सामान्य जन या जनता के किसी वर्ग के बीच यह भय पैदा होगा या अलार्म का वातावरण पैदा होगा और जिसके चलते कोई व्यक्ति, राज्य के विरुद्ध या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के लिए उत्प्रेरित हो, तो इस धारा के तहत मामला बनता है। गौरतलब है कि इस कानून के तहत दोषी ठहराए जाने पर व्यक्ति को अधिकतम तीन साल के कारावास और जुर्माने, अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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