November 21, 2024

एनटीपीसी प्रबंधन की उपेक्षा, रोजगार की मांग को लेकर भू-विस्थापितों का धरना

कोरबा 17 अगस्त। छत्तीसगढ़ के कोरबा में भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम एनटीपीसी कोरबा के भू-विस्थापित पिछले 43 वर्षों से नौकरी के लिए भटक रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक एन टी पी सी में नौकरी नहीं दी गई है। एनटीपीसी प्रबंधन की उपेक्षा से नाराज भू-विस्थापितों ने मंगलवार से सपरिवार अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दी है। विस्थापितों का कहना है कि जब तक उन्हें नौकरी नहीं मिलती तब तक वह अपना आंदोलन जारी रखेंगे और जरूरत महसूस होने पर आने वाले दिनों में भूख हड़ताल और आमरण अनशन भी करेंगे।

भूविस्थापित प्रह्लाद केंवट ने बताया कि एनटीपीसी कोरबा द्वारा सन् 1978.79 में विद्युत संयंत्र के लिए उनकी भूमि का अधिग्रहण किया गया था। उस समय जारी आम सूचना 4 सितम्बर 1979 को कहा गया था कि राष्ट्रीय विद्युत ताप निगम ने सिद्धांत: यह स्वीकार किया है कि प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को जिनकी भूमि परियोजना हेतु अधिग्रहित की गई है, क्रमिक रूप से शैक्षणिक एवं अन्य योग्यताओं के आधार पर रोजगार प्रदान किया जावेगा। परियोजना का निर्माण कार्य जैसे-जैसे बढ़ता जावेगा, रोजगार के अवसर भी बढ़ते जावेंंगे एवं तदनुसार लोगों को भी क्रमिक रूप से रोजगार प्रदान किया जावेगा। एक साथ सभी के लिए रोजगार मुहैया कराना असंभव है और न ही किसी परियोजना में ऐसा हुआ है।

उपरोक्त आम सूचना के आधार पर ग्राम चारपारा के 307 भूविस्थापितों अपनी जमीन दी थी। बाईट 43 वर्षों में केवल 38 व्यक्तियों को एन टी पी सी में नौकरी दी गई है। आखिरी बार सन 2000 में 5 परिवार के सदस्यों को नौकरी दी गई थी। शेष 269 परिवार के सदस्य अब तक एनटीपीसी कोरबा में नौकरी के लिए प्रयासत हैं, लेकिन इनकी न तो एन टी पी सी प्रबंधन सुध ले रहा है और न ही स्थानीय प्रशासन।

एक अन्य इस भू-विस्थापित श्रवण कैवर्त ने बताया कि भू-विस्थापितों को 15 दिवस में नौकरी देने के लिए विगत 4 जुलाई को कार्यपालक निदेशक एनटीपीसी कोरबा के नाम पत्र भेजा गया था। एन टी पी सी के मानव संसाधन के प्रमुख से मुलाकात कर चर्चा का प्रयास किया गया लेकिन मॉंगों पर चर्चा न कर अन्य विषयों पर उन्होंने बात की। एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन के द्वारा मॉंगों पर ध्यान नहीं दिया गया। ना ही किसी प्रकार की जानकारी दी गई। इससे आक्रोशित भू-विस्थापित अब सपरिवार धरना आंदोलन के लिए बाध्य हो गए हैं। उनका कहना है की मांग पूरी नहीं होने पर आगे चलकर भूख हड़ताल और आमरण अनशन किया जाएगा।

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