December 23, 2024

हलषष्ठी पूजा का पर्व खमरछठ हर्षोल्लास से मनाया गया

कोरबा 18 अगस्त। हलषष्ठी पूजा का पर्व खमरछठ बुधवार को शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में हर्षोल्लास से मनाया गया। पूजा के दौरान महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर विधि विधान से पूजा अर्चना की। मंदिर व मोहल्ले में एकजुट होकर महिलाओं ने व्रत कथा का आयोजन कर सुख समृद्धि की कामना की। हलषष्ठी देवी को पसहर चांवल व मुनगा भागी का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया। व्रती माताओं ने छूंही मिट्टी की पुतनी देकर संतान के दीर्घायु की कामना की।

भादो माह के कृष्ण पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाले हलषष्ठी पर्व के लिए महिलाओं में विशेष उत्साह देखा गया। महिलाएं इस व्रत पूजा को विधि विधान से संपन्न करने के लिए सुबह से ही निर्जला उपवास रखी थी। पूजा के लिए विशेष जगह का चयन कर व्रत कथा का आयोजन किया गया। इस आयोजन के व्रती महिलाओं ने पसहर चावल, सुहाग सामाग्री व अन्य पूजन सामाग्रियों की खरीदारी पूर्व में ही कर ली थी। पूजन विधान के अनुसार व्रत के लिए आंगन में छोटा गड्ढा खोदकर तालाब का निर्माण किया गया। जिसके किनारे कांशी, बेर व परसा के डाल को आच्छादित किया गया। छठ माता की प्रतिमा स्थापित की गई। इस व्रत की विशेषता के बारे में महिलाओं ने बताया कि यह एक ऐसा व्रत है, जिसे माताएं संतान के सुख समृद्धि के लिए करती हैं। व्रत में महिलाओं ने हलषष्ठी देवी को प्रसन्न करने के लिए भैंस दूध से बने पसहर चावल के भात व मुनगा भाजी की सब्जी का भोग लगाया। देवी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के खिलौने भी पूजन सामाग्रियों के साथ व्रत के दौरान चढ़ावा किया गया। पूजन स्थल को पुताई के लिए जिस छूंही मिट्टी का उपयोग किया गया, उससे घर के तमाम सदस्यों को पोतनी दी गई। ऐसा किए जाने के पीछे महिलाओं की यह मान्यता है कि हलषष्ठी माता का आशीर्वाद सदैव उनके साथ रहता है। विधि विधान से व्रत किए जाने के बाद महिलाओं ने लाईए महुवा, मुनगा भाजी व पसहर चावल के भात प्रसाद का वितरण किया। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में महिलाओं ने सामुहिक रूप से हलषष्ठी देवी की पूजा की। पूरे दिन पूजा अर्चना का दौर मंदिरों के अलावा विभिन्न घरों में होती रही। शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में हलषष्ठी की पूजा पारंपरिक विधि विधान से कर महिलाओं ने परिवार के सुख समृद्धि सहित सुहाग के दीर्घायु की कामना की।

खमर छठ पूजा के प्रति अब स्थानीय लोग के अलावा दीगर प्रांत से बसे लोगों में भी उत्साह बढऩे लगा हैं। इस कड़ी में शहर के सीतामढ़ी, पुरानी बस्ती, ढोंढीपारा, कांशीनगर, पथर्रीपारा, बुधवारी, साडा कालोनी शिव मंदिर, कोसाबाड़ी शाकंभरी मंदिर, सर्वमंगला मंदिर आदि स्थानों में महिलाओं ने हलषष्ठी पूजा की। शहरी क्षेत्र के अलावा उपनगरीय क्षेत्रों में विधि-विधान से की गई पूजा आराधना का उत्साह बालको, जमनीपाली, चैतमा, हरदीबाजार, नोनबिर्रा दीपका, कटघोरा, पाली, छुरी, दर्री, जमनीपाली, पसान, करतला, तुमान, बांकीमोगरा सहित अन्य उपनगरीय क्षेत्रों में भी रहा।

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