July 4, 2024

भारी सुरक्षा बल के साथ हरे-भरे पेड़ों की कटाई शुरू, कई स्थानीय आदिवासियों को लिया गया हिरासत में

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने अपने-अपने क्षेत्रों में विरोध दर्ज कराने की लोगों से की अपील

कोरबा 27 सितम्बर। परसा कोल ब्लॉक विस्तार के लिए हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है। जहां पर कई जिलों की फोर्स लगाई गई है बासिन, हरिहरपुर टेंशन साल्ही, केते टेंशन बातें, परसा टेंशन घाट बर्रा सहित हसदेव अरण्य क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में रात 2.00 बजे से भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। बताया जा रहा हैं की कई हसदेव अरण्य का विरोध करने वाले आदिवासियों ग्रामीणों को हिरासत में भी ले लिया गया है। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर आर्मो सरपंच ग्राम पतुरियाडाँड़ को भी हिरासत में लिया गया है। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने लोगों से अपील की है कि अपने अपने क्षेत्रों में हसदेव अरण्य को बचाने विरोध दर्ज कराएं और एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने की रणनीति को उजागर करे। इससे सैकड़ों गांव प्रभावित होंगे। यह जंगल हजारों हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है जहां जंगली जानवर सहित अनेक आदिवासी निवास करते हैं।

हसदेव अरण्य को बचाने और परसा कोल ब्लॉक के विस्तार को रोकने सैकड़ों एकड़ में पहले हरे.भरे जंगल को कटने से रोकने आदिवासी समुदाय से लेकर स्थानीय ग्रामीण लगातार जंगलों में डेरा डालकर पहरेदारी कर रहे हैं और पेड़ों के कटने का विरोध कर रहे हैं। लेकिन फिर से भारी पुलिस सुरक्षा बल के साथ क्षेत्र में चप्पे.चप्पे पर सुरक्षाबलों ने ग्रामीणों को घेर लिया है। बताया जा रहा हैं की इधर.उधर आने.जाने पर रोक लगा दी गई। कई स्थानीय आदिवासी नेताओं सहित ग्रामीणों को हिरासत में भी ले लिया गया है और पेड़ों की कटाई करवाई जा रही है। जिससे क्षेत्र के आदिवासियों स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।

स्थानीय आदिवासियों ग्रामीणों का कहना है कि इस जंगल के उजड़ जाने से जहां आदिवासियों के जीविकोपार्जन की समस्याएं पैदा होगी वही आदिवासियों को जल जंगल जमीन से वंचित होना पड़ेगा, इसके साथ साथ जंगल काटने से पर्यावरण असंतुलित होगा, वही जंगली जानवरों के रहवास छिन जाएंगे। जिससे जंगली जानवर गांव और शहर कस्बों की ओर रुख करेंगे। इससे जंगली जानवरों और मानव द्वंद के साथ-साथ जानवरों और और जनहानि की समस्याओं में बढ़ोतरी होगी।

एक स्थानीय आदिवासी ने बताया कि हमारे द्वारा जब पेड़ कटाई के आदेश को मौके पर पहुंचे अधिकारियों से मांगा गया तो उनके द्वारा एक दूसरे पर टालमटोल करते हुए गुमराह किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना आदेश एनजीटी के नियमों और पर्यावरण के नियमों की अनदेखी करते हुए बंदूक की नोक पर पेड़ की कटाई करवाई जा रही है। जो मानव और आदिवासियों के अधिकारों का उल्लंघन है। ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर यह जंगल उजाडऩे का काम नहीं रोका गया तो आने वाले समय में सरकार और कंपनी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

Spread the word