नरवा योजनान्तर्गत बोराई नाला के उपचार से 90 हेक्टेयर बढ़ा सिचाई रकबा
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पांच गांवो के 87 किसानों को मिली सिचाई सुविधा
मनरेगा के माध्यम से भी 214 परिवारों को मिला रोजगार
कोरबा 20 अक्टूबर 2022. छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा,गरुवा,घुरुवा,और बाड़ी के तहत नरवा विकास कार्यो के सकारात्मक प्रभाव जिले में लगातार दिखाई दे रहे है। जनपद पंचायत करतला अंतर्गत बोराई नाला में जल सरंक्षण एवं जलसंवर्धन की विभिन्न सरंचनाओ के निर्माण कराने से 90 हेक्टेयर सिचाई रकबा बढ़ गया है जिससे पांच गाँव के 87 किसानों को सिचाई सुविधा मिल गयी है। जिससे किसान अब वर्ष में दो बार फसल ले रहे हैं।
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ग्राम पंचायत सुवरलोट से निकलने वाला बोराई नाला प्राचीन नाला है जिसकी लम्बाई करीब 11 किलोमीटर है। यह नाला सुवरलोट से निकलकर खूंटाकूड़ा होते हुए बेहरचुवा जाता है। इस नाले में पहले 9-10 महीने ही पानी रहता था। गर्मी के दिनों में नाले का पानी सुख जाता था, जिससे गर्मियों के दिनों में नाले के समीप के किसान चाह कर भी दूसरी फसल नही ले पाते थे। मई-जून के महीनों में पानी संकट ज्यादा गहरा जाता था। इस समस्या के समाधान के लिए नरवा उपचार और नरवा विकास के विभिन्न कार्य कराए गये। महात्मा गाँधी नरेगा अतर्गत बोराई नाला में जलसरंक्षण एवं जलसंवर्धन के लिए विभिन्न जल सरंचनाएं- गली प्लग,लूज़ बोल्डर चेक डेम,डाईकवाल,डबरी निर्माण आदि कार्य कराए गये हैं। जिससे अब नाला में साल भर पानी भरा रहता है। नाले में वर्ष भर पानी भरे रहने से पांच गाँव के 87 किसानों को सिचाई सुविधा मिल गयी है। जिससे उनका फसल उत्पादन बढ़ गया है। अब करीब 90 हेक्टेयर सिचाई रकबा बढ़ गया है। 40 से ज्यादा किसान अब रबी की फसल के साथ ही खरीफ की फसल भी लगा रहे है। वह धान के साथ ही गेहूं, सब्जी का उत्पादन करने लगे हैं, इससे किसानों की वार्षिक आमदनी बढ़ी है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।
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जिला पंचायत सीईओ श्री नूतन कंवर ने बताया कि नाला विकास के कार्यो से मिटटी कटाव कम हुआ है जिससे खेतो में मिटटी, मुरुम का भराव कम हुआ है तथा 0.80 मीटर भू जलस्तर में वृद्धि हुई है। नाला उपचार विकास से जहाँ सिचाई रकबा बढ़ा है,भूजल स्तर में वृद्धि हुई है वहीं दूसरी ओर मनरेगा से दो सौ से ज्यादा परिवारों को गाँव में ही रोजगार भी मिला है, जिससे ग्रामीण खुश हैं। खूंटाकुडा सरपंच श्रीमती संतोषी राठिया का कहना है कि नरवा विकास योजना से पुराने जल स्त्रोतों को पुनः जीवित किया जा रहा है जिससे ग्रामीणों को पर्याप्त जल उपलब्ध हो रहा है। जिससे खेती करने में सुविधा मिल रही है। यह सरकार की ग्रामीणों के लिए बहुउपयोगी योजना है।