December 3, 2024
हर मंगलवार

कारवां (8 नवंबर 2022)-

■ अनिरुद्ध दुबे

अब हूंकार रैली की बारी

चुनावी तैयारियों में जुटी भाजपा क्रमवार अपने बड़े कार्यक्रमों को अंजाम देती जा रही है। पहले बेरोजगारी को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ, इसके कुछ ही दिनों बाद गृह मंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केन्द्रित पुस्तक का विमोचन करने रायपुर आए, फिर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की विशाल आम सभा हुई और उसके बाद आरक्षण में कटौती के विरोध में आदिवासी नेताओं का बड़ा आंदोलन हुआ। अब 11 नवंबर को बिलासपुर में भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली होने जा रही है, जिसमें शराब बंदी को लेकर किये गए वादे और महंगाई समेत अन्य बड़े मुद्दों को लेकर नारी शक्ति न्यायाधानी में आवाज़ बुलंद करेगी। उल्लेखनीय है कि पहले 3 बड़े कार्यक्रम राजधानी रायपुर में हुए थे और चौथा बड़ा आदिवासी आंदोलन बस्तर में हुआ। अब पांचवां बड़ा कार्यक्रम न्यायाधानी बिलासपुर में होने जा रहा है। यानी भाजपा ने पहले रायपुर, फिर बस्तर उसके बाद बिलासपुर संभाग को चुना है। संभागवार आंदोलन हो रहे हैं। हुंकार रैली से पहले भाजपा नेत्रियों ने चलते राज्योत्सव के बीच शराब खोरी एवं प्रदेश में बढ़ती अपराधिक घटनाओं समेत अन्य मुद्दों को लेकर रायपुर में एकात्म परिसर से राज भवन तक पैदल मार्च किया। इसमें कोई दो मत नहीं कि अन्य पार्टियों की तुलना में भाजपा का महिला विंग हमेशा से मजबूत रहा है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के रायपुर आगमन के दौरान भी नगर घड़ी चौक के पास बना महिला मोर्चा का स्वागत मंच आकर्षण का केन्द्र रहा था।

‘लंपट’ का मतलब

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला ने अपने बयान में पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के लिए ‘लंपट’ शब्द का इस्तेमाल कर दिया। लंपट शब्द ने तूल पकड़ लिया है। सुशील के इस बयान के बाद कितने ही लोग गूगल सर्च कर जानने में लग गए हैं कि ये ‘लंपट’ का क्या मतलब होता है? शुक्ला के बयान को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल समेत और कई अन्य भाजपा नेता सवाल पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से कहा जा रहा है कि “अजय चंद्राकर की पैरवी कर रहे लोग पहले अपने गिरेबां में झांककर देख लें। आबकारी मंत्री कवासी लखमा को आइटम गर्ल किसने कहा था? राहुल गांधी के रायपुर आगमन के दौरान सूरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस अफ़सर व कर्मचारियों के सामने अश्लील गांलियों की झड़ी लगा देने वाला वह पूर्व मंत्री कौन था? पहले भाजपा के लोग अपनी आदत सुधारें, फिर दूसरों को सुधरने की नसीहत दें।“ राजनीति में ज़ुबान फिसलने के उदाहरण आए दिन सामने आते ही रहते हैं। बड़े से बड़े नेताओं की ज़ुबान फिसल जाती है। बस्तर के दो आदिवासी नेता एक समय में काफ़ी ऊंचाई पर थे। कांग्रेस के अरविंद नेताम व भाजपा के बलिराम कश्यप। दोनों मंत्री रह चुके हैं। 90 के दशक के शुरुआती दौर में अख़बार वालों से बातचीत के दौरान किसी सवाल के ज़वाब में अरविंद नेताम कह गए थे कि “लगता है बलिराम कश्यप पागल हो गए हैं।“ रायपुर के एक अख़बार में इसी शीर्षक के साथ समाचार प्रकाशित हो गया था, जिसे लेकर व्यापक चर्चा हुई। इसके ठीक कुछ दिनों बाद बलिराम कश्यप ट्रेन से रायपुर पहुंचे। रायपुर स्टेशन पर अख़बार वालों ने जब नेताम के वक्तव्य की ओर ध्यान आकर्षित किया तो उन्होंने उतने ही तीखे अंदाज़ में पलटवार करते हुए कहा कि “अगर आज मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं होती तो अरविंद नेताम टाडा कानून के तहत जेल के भीतर होते।“ उल्लेखनीय है कि उस समय मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी। वैसे बलिराम कश्यप की एक ख़ासियत यह थी कि उन्हें राम चरित मानस के कई दोहे याद थे। न सिर्फ याद थे बल्कि वह दोहों का अर्थ भी समझा देते थे।

बृजमोहन की पहुंच

डॉक्टर के गढ़ तक

राज्योत्सव के बीच पूर्व मंत्री एवं रायपुर दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल की बेटी डॉ. शुभकीर्ति की सगाई काफ़ी चर्चा में रही। शुभकीर्ति का विवाह कवर्धा के डॉ. विनीत माहेश्वरी से होने जा रहा है। सगाई की रस्म कवर्धा में ही हुई। सगाई समारोह में अजय जामवाल, नारायण चंदेल, धरमलाल कौशिक, सुनील सोनी एवं अजय चंद्राकर जैसे भाजपा के दिग्गज दिखे। कांग्रेस से बड़ा चेहरा कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे उपस्थित थे। कवर्धा पूर्व मंत्री डॉ. रमन सिंह का गृह नगर है। सगाई समारोह में कुछ नेता यह कहते हुए चुटकी लेते नज़र आए कि “बृजमोहन की पहुंच अब डॉक्टर साहब के गृह नगर तक में हो गई है।“

अन्याई के राज चलय

नई हे जादा दिन

प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी अधिकांश कांग्रेसियों ने अपने मोबाइल कॉलर ट्यून में छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘कारी’ का वह गाना रखा रख लिया था “अन्याई के राज चलय नई हे जादा दिन…।“ बताते हैं यह गाना सबसे पहले झीरम घाटी में शहीद हुए युवा नेता दिनेश पटेल ने अपने कॉलर ट्यून में रखा था। उनके बाद शैलेश नितिन त्रिवेदी समेत कुछ अन्य नेताओं के मोबाइल का भी कॉलर ट्यून यही हो गया था। जब प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता आई तो नेताओं ने यह कॉलर ट्यून हटा दिया। कुछ नेता अब भी इस गाने को अपनी कॉलर ट्यून बनाना चाह रहे हैं लेकिन बना नहीं पा रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि हम दिल्ली के सिंहासन में बैठे लोगों को ध्यान में रख यह कॉलर ट्यून रखना चाहते हैं, लेकिन हमें मालूम है कि यहां अपनी ही पार्टी के विघ्न संतोषी लोग अर्थ का अनर्थ करने में देर नहीं लगाएंगे। इसलिए अति उत्साह में कुछ भी ऐसा वैसा कर जाना ठीक नहीं।“

आदिवासी महोत्सव से

नक्सलगढ़ वाली

छवि बदलने की कोशिश

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राज्योत्सव के साथ आदिवासी महोत्सव मनाए जाने की परंपरा जो शुरु हुई निश्चित रूप से दूर-दूर तक इसकी चर्चा तो होने लगी है। संस्कृति विभाग के डायरेक्टर विवेक आचार्या बड़ी गर्मजोशी के से साथ मीडिया के कुछ मित्रों से कहते नज़र आए कि “बाहर वालों के सामने छत्तीसगढ़ की नक्सल प्रदेश के रूप में जो छवि बनी हुई थी वह आदिवासी महोत्सव जैसे आयोजन से टूटनी तो शुरु हुई है। अब तो अक्षय कुमार जैसे बॉलीवुड के बड़े सितारे भी शूटिंग करने छत्तीसगढ़ आने लगे हैं।“ बहरहाल इस बार का तीसरा आदिवासी महोत्सव था। जिस देश का आदिवासी महोत्सव में एक बार प्रदर्शन हो गया उसे रिपीट नहीं किया जा रहा है। अपवाद स्वरुप इस बार मालदीव ज़रूर रिपीट हो गया। संस्कृति विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि भारतवासी आईएफएस अफ़सर मनु महावर मालदीव में कहीं पर पोस्टेड हैं। संस्कृति विभाग के डायरेक्टर विवेक आचार्य भी आईएफएस हैं। विदेश में पदस्थ आईएफएस ने यहां के आईएफएस को यह राग दिया कि भारत एवं मालदीव के कल्चर में काफ़ी समानताएं हैं। भारत के कितने ही पर्यटन प्रेमी प्रकृति का आनंद लेने मालदीव आते हैं। जब भारत के लोगों का मालदीव से गहरा जुड़ाव है तो फिर मालदीव का भी भारत से क्यों नहीं होना चाहिये। इसे अनुरोध कह लें या समझाइश काम आ गई। नहीं करते-करते मालदीव की टीम का आदिवासी महोत्सव में आने का रास्ता बन ही गया।

नाम में बहुत

कुछ रखा है

राज्योत्सव में ऐसा बहुत कुछ देखने को मिला जो यादगार रहेगा। राज्योत्सव की पूर्व संध्या पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने राज्य अलंकरण की घोषणा की। माना जाता है कि इंसान गलतियों का पुतला है। राज्य अलंकरण की जो लिस्ट जारी हुई उसमें एक नहीं दो त्रुटियां सामने आईं। अपराध अनुसंधान के क्षेत्र में पंडित लखनलाल मिश्र सम्मान लक्ष्मी प्रसाद मिश्रा को देने की घोषणा हुई, जबकि सही नाम लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल था। इसी तरह उर्दू भाषा की सेवा के क्षेत्र में हाजी हसन अली सम्मान युनूस खान को देने की घोषणा हुई, जबकि सही नाम युसूफ खान था।

इतने बारीक अक्षर कि

लैंस से देखना पड़े

राजधानी रायपुर में राज्योत्सव में लगे हर स्टॉल की अपनी-अपनी ख़ूबियां थीं। आदिवासियों व्दारा बनाए गए प्रोडक्ट सबसे ज़्यादा आकर्षण का केन्द्र रहे। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल (हाउसिंग बोर्ड) एवं रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) के भी स्टॉल भी लगे। दोनों अपने स्टॉल में थोक के भाव ब्रोशर रखे हुए हैं जिसमें आवासीय योजनाओं का विवरण था। आरडीए का ब्रोशर तो ठीक था, लेकिन लगता है हाउसिंग बोर्ड व्दारा अपने ब्रोशर की छपाई में कंजूसी बरती गई। हाउसिंग बोर्ड के ब्रोशर में योजनाओं का उल्लेख इतने बारीक़ अक्षरों में है कि उन्हें पढ़ने के लिए लैंस का इस्तेमाल करना पड़ जाए।

कारवां @ अनिरुद्ध दुबे, सम्पर्क- 094255 06660

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