बाबा गुरु घासीदास के बताए मार्ग पर चलें : डॉ. गजेंद्र
कोरबा। छत्तीसगढ़ पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल पाली के शिक्षाविद प्राचार्य एवं करियर काउंसलर डॉ. गजेंद्र तिवारी का मानना है कि छत्तीसगढ़ की पावन धरा में यूं तो अनेक संतों, तपस्वी विचारकों ने जन्म लिया, किंतु गुरु घासीदास ने एक अलग ही आदर्श प्रस्तुत किया है। सत्य और समानता के लिए उन्होंने जो संघर्ष किया उसका प्रतिफल सबके सामने है। उनके ज्ञान के प्रकाश से सारा जहां आलोकित है। गुरु बाबा घासीदास न केवल इस पावन धरा की महत्ता को प्रतिपादित किया है, बल्कि समाज उत्थान की दिशा में आने वाली पीढ़ी को सत्य की राह पर चलकर एक नए भारत के निर्माण में अहम निभाने की नसीहत भी दी है।
डॉ. तिवारी ने बताया कि संत गुरु घासीदास भारतीय आकाश में दैदीप्यमान नक्षत्र हैं जिनके आलोक में समाज चहुंमुखी उन्नति और विकास की ओर अग्रसर है। संत घासीदास ने नारी शिक्षा पर बल दिया। उनके संदेश और जीवन दर्शन में सतनाम को जानो परखो समझो तब मानो, जाति भेद के प्रपंच में मत पड़ो, जीवन में हिंसा न करो, पर स्त्री को माता मानो। वहीं नारी शिक्षा में प्रात: काल सोकर उठना, घर आंगन की सफाई करना, लिपाई के बाद मांगलिक चिह्न बनाना, सास-ससुर की सेवा करना, क्रोधित नहीं होना अतिथि सत्कार आदि है। डॉ. तिवारी ने बताया कि गुरु घासीदास के सात वचन सत्य और अहिंसा, धर्म, लगन, करुणा, सरलता, कर्म, व्यवहार तथा सात शिक्षाएं सतनाम पर विश्वास रखना, जीव हत्या नहीं करना, मांसाहार नहीं करना, नशे का सेवन नहीं करना, जाति के प्रपंच में नहीं पड़ना, व्यभिचार नहीं करना, जो मनुष्य गुरु बाबा घासीदास के बताए शिक्षा को ग्रहण कर लेता है वह जीवन सार्थक और सफल कर लेता है। उन्होंने बताया कि हमें संत गुरु घासीदास के बताए मार्ग पर चलकर समाज में सामाजिक समरसता जिनका आज भी सम्यक प्रयोग कर सामाजिक जीवन सुधार करने की आवश्यकता है। मनखे-मनखे एक समान को चरितार्थ करते हुए हमें जात पात के प्रपंच में न पड़कर भाईचारा का परिचय देकर सामाजिक उत्थान के लिए अत्यंत आवश्यक है