November 22, 2024

उत्पादन कंपनी के विद्युत संयंत्रों में लगाए जाएंगे कंट्रोल सिस्टम

0 संयंत्रों से जहरीली गैस कंट्रोल करने की कवायद
कोरबा। औद्योगिक नगरी कोरबा में संचालित बिजली संयंत्रों की चिमनियों से धुएं के साथ जहरीली गैस निकल रही है। यह गैस मानव जीवन के लिए खतरा है। इस खतरनाक गैस को कंट्रोल करने की कवायद की जा रही है। उत्पादन कंपनी के विद्युत संयंत्रों में कंट्रोल सिस्टम लगाया जाएगा।
एनओएक्स कंट्रोल सिस्टम लगाने के लिए सबसे पहली पहल उत्पादन कंपनी ने की है। इसके लिए मुख्यालय ने मार्च में निविदा निकालने की तैयारी शुरू की थी, लेकिन किन्हीं कारणों से इसे रोक दिया गया था। दिसंबर में फिर से प्रक्रिया शुरु की गई है। इसी महीने निविदा प्रक्रिया पूरी होगी। आगामी एक से दो महीने में वर्क आर्डर होने के बाद कंपनी काम शुरू करेगी। उत्पादन कंपनी के तीनों बड़े विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित हो रहे नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर को कम करने के लिए कंट्रोल सिस्टम लगाए जाएंगे। इससे जहरीली गैस का स्तर चिमनी से निकलने से पहले शून्य हो जाएगा। नाइट्रोजन ऑक्साइड कंट्रोल सिस्टम डीएसपीएम की दोनों यूनिट, मड़वा संयंत्र की दो यूनिट और एचटीपीपी की एक यूनिट में लगाए जाएंगे। गौरतलब है कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक पीएम 10 वैल्यू की मात्रा 4.8 किग्रा प्रति मेगावाट और नाइट्रोजन ऑक्साइड भी 4.8 प्रति किग्रा प्रति मेगावाट तक स्तर होना चाहिए। दरअसल थर्मल पॉवर प्लांटों में जब कोयले से बिजली बनाई जाती है तो कोयले से एनओएक्स गैस निकलती है जो कि चिमनी से होकर वातावरण में मिलती है। इसके लेवल को चिमनी से बाहर निकलने से पहले ही शून्य करने के लिए कंट्रोल सिस्टम लगाए जाएंगे।
0 जल्द ही एफजीडी भी लगेंगे
नाइट्रोजन ऑक्साइड की तरह चिमनियों से सल्फर डाय ऑक्साइड गैस निकलने की बात सामने आई थी। कंपनी ने अपने तीनों संयंत्रों में एफजीडी (फ्यूल गैस डी सल्फराइजेशन सिस्टम) लगाने जा रही है, ताकि चिमनी से निकलने से पहले खतरनाक गैस को अलग कर लिया जाए। करीब 1358 करोड़ की लागत से ये मशीन स्थापित की जाएगी।

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