ढेंकी की आवाज आज भी सुनाई देती हैं बम्हनीकोना के सरपंच के घर में
– विनोद उपाध्याय
कोरबा (हरदीबाजार)। आज हम लोगों में से बहुत लोग ढेंकी का नाम भी नहीं सुने होंगे, और न ही कभी देखे होंगे कि ढेंकी आखिर है क्या? आज गेहूं पीसने, धान कूटने के लिये बड़ी-बड़ी राईस मिलें, आटा चक्की मशीनें उपलब्ध है। पहले के जमाने में जब ये मशीने नहीं थे तब धान कूटने के लिये लकड़ी से बनी ढेंकी का ही सहारा था। बिना किसी मशीनरी से धान कूटने की यह परंपरागत ढेंकी अब देखने को भी नहीं मिलती है और न ही इसकी आवाज अब सुनाई देती है।
दरअसल मूसल व ढेंकी में कूटने पर धान का छिलका तो निकलता है, लेकिन चावल की ऊपरी परत में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व बरकरार रहते हैं, जो कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं। इसे ही ग्रामीणों के सेहतमंद होने का असली राज माना जाता है, जबकि बिजली चलित आधुनिक मिलों में होने वाली कुटाई में चावल का पॉलिश हो जाता है, जिससे बाजार में उपलब्ध चावल में ये पौष्टिक तत्व नदारद रहते हैं। पहले के जमाने में हर एक गांव में हाथ और पैर के माध्यम से ढेंकी से धान कुटाई कर अपना जीवन यापन चलाया करते थे।
अब वही ढेंकी इक्का-दुक्का देखने को मिलती है। पाली ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत बम्हनीकोना के सरपंच घनश्याम सिंह नेटी के घर आज भी पूर्वजों की धरोहर देखी गई जो धान, चावल, कुटाई में उपयोग करते हैं। साथ ही आसपास के लोग भी उपयोग कर धान, चावल, दाल की कुटाई ढेंकी के माध्यम से करते हैं। ग्राम में हालर मिल होते हुए भी सरपंच के परिवार व आसपास के लोग वही ढेंकी का उपयोग करते हैं।