मृत शिक्षकों के पेंशन के नाम पर लिपिक ने लगाए 28 लाख के फर्जी बिल
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0 15 को उप कोषालय कटघोरा में होगी जांच
कोरबा। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदीबाजार के लिपिक ने उप कोषालय कटघोरा में विद्यालय के मृत व सेवानिवृत्त शिक्षकों के पेंशन जीआईएस के भुगतान के नाम पर लगाए गए 28 लाख के फर्जी बिल के मामले में भले ही आहरण संवितरण अधिकारी (डीडीओ) प्राचार्य आज पर्यंत एफआईआर दर्ज कराने में विफल रहे हैं। दूसरी ओर इस गंभीर प्रकरण में कोषालय गंभीर हो गया है। संयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारी सहित जिला कोषालय अधिकारी 15 फरवरी को प्रकरण की पूरी तकनीकी पहलुओं की जांच करने उप कोषालय कटघोरा जाएंगे। जहां उप कोषालय अधिकारी, संबंधित प्राचार्य एवं लिपिक से गहन पूछताछ होगी।
बीते माह हरदीबाजार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का पेंशन, जीआईएस एवं अन्य स्वत्वों से जुड़े 28 लाख के फर्जी बिल उप कोषालय में विद्यालय के लिपिक ऋषि कुमार जायसवाल ने जमा किया था। देयक (बिल) जमा करने के 6 दिवस के भीतर परीक्षण उपरांत बिल पारित करने का प्रावधान रहता है। इस समयावधि में ई पैरोल में ऑनलाइन बिल जनरेट कर उसकी डीडीओ (आहरण संवितरण अधिकारी) द्वारा हस्ताक्षरित कॉपी की एक प्रति कोषालय में जमा किया जाता है। काउंटर परीक्षण के बाद संबंधित बिल पासिंग क्लर्क के द्वारा डिटेल एंट्री किया जाता है। तत्पश्चात बिल पारित होता है, लेकिन संबंधित लिपिक ने बिल जमा करते ही तत्काल पारित करने के लिए उप कोषालय पर फोनकर दबाव बनाना शुरू कर दिया। 28 लाख के भारी भरकम बिल और तत्काल पारित करने की गुजारिश से उप कोषालय अधिकारी को शंका हुई। लिहाजा बिल पासिंग के दौरान डिटेल इंट्री का परीक्षण किया गया इस दौरान प्रस्तुत देयक (बिल) फर्जी पाया गया। लिहाजा उप कोषालय अधिकारी कटघोरा मनीष देवांगन ने बिल तत्काल संबंधित डीडीओ प्राचार्य डी.एन. दिवाकर को वापस कर दिया था। बिल पारित होने से पहले सतकर्ता से 28 लाख की वित्तीय गबन से शासन बच गया, लेकिन प्रकरण में आज पर्यंत संबंधित डीडीओ प्राचार्य डी.एन. दिवाकर फर्जी बिल प्रस्तुत करने वाले लिपिक के विरुद्ध अपराध दर्ज नहीं करवा सके, जिससे प्रकरण में डीडीओ प्राचार्य की भूमिका भी संदिग्ध है। बहरहाल भले ही शिक्षा विभाग इस मामले में लिपिक का बचाव कर रहा हो, लेकिन शासन ने संज्ञान ले लिया है। 15 फरवरी को संयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारी सहित जिला कोषालय अधिकारी प्रकरण की पूरी तकनीकी पहलुओं की जांच करने उप कोषालय कटघोरा जाएंगे। जहां उप कोषालय अधिकारी, संबंधित प्राचार्य एवं लिपिक से गहन पूछताछ होगी। प्रकरण में विद्यालय के प्राचार्य डी.एन. दिवाकर से उनका पक्ष लेने संपर्क किया गया, कॉल रिसीव नहीं करने के कारण उनका पक्ष नहीं आ सका।
0 इन बिंदुओं पर होगी जांच
उप कोषालय में सबसे पहले फर्जी बिल प्रस्तुत होने के पूरे मामले में तकनीकी पहलुओं की जांच होगी। इसमें फर्जी बिल कब लगा, कब वापस हुआ, कैसे वापस हुआ, किन-किन कर्मचारियों के पेंशन का बिल लगा था, सेवानिवृति के बाद मृत शिक्षकों को कब कब भुगतान हुआ था, भुगतान हुआ था कि नहीं जैसे अनेक तकनीकी पहलुओं की जांच की जाएगी।