जादू का उद्देश्य समाज को जागरूक करना : जादूगर ज्ञानेन्द्र
कोरबा। सन् 80 के दशक में जादू कला को हेय दृष्टि से देखा जाता था। जादूगरों ने इस कला को आज ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। मेरी टीम में 30 शिक्षित लोग कार्यरत हैं। हम जादू के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं, जादू का मुख्य उद्देश्य जन जागरूकता है।
उक्त बातें जादूगर ज्ञानेन्द्र भार्गव ने प्रेस क्लब तिलक भवन में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि जैन मंदिर भवन परिसर में जादू का शो लेकर वे आए हैं। रोजाना दो शो दोपहर 4 व शाम 7 बजे तथा मंगलवार, शनिवार व रविवार को तीन शो दोपहर 1, शाम 4 व 7 बजे किए जाएंगे। स्कूली बच्चों को रियायत दर पर शो दिखाया जाएगा। भार्गव ने कहा कि प्रयाग विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद उनका रुझान जादू कला की ओर हुआ। मेरे परिवार में दूर-दूर तक किसी का जादू से कोई नाता नहीं रहा। समस्त परिवार संगीत से जुड़ा है। मैं भी तबला, हारमोनियम गाता बजाता हूं। समस्त परिवार के बच्चे सरकारी सेवा में लगे हैं। मेरा शो भारत के कई प्रदेशों में हो चुका है। मैं छत्तीसगढ़ पहली बार आया हूं। अब तक लगभग 25 हजार जादू शो का प्रदर्शन कर चुका हूं। अपने जादू के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास एवं कुरीतियों पर करारा प्रहार करते हुये समाज को स्वच्छता, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, हरित क्रांति, भाई चारा, नशामुक्ति यातायात नियमों का पालन पर्यावरण अनुपालन व अन्य जागरूकता के कार्यक्रम करते हैं। हमारे जादू शो का मुख्य आर्कषण स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी गायब, इच्छा धारी सांप कभी सांप तो कभी लड़की, भारत माता और भ्रष्टाचार, नशा छोड़ो, नशा छुड़ाओ, मानव कटिंग, बरमुडा ट्रायंगल (त्रिकोण), जमीन से 10 फुट ऊपर उड़कर जाना, बंद बक्से से आजाद होना, मिश्र देश की शहजादी का आगमन व आकाश मार्ग से जाकर गायब होना, भूतों का नायिका के सहित नाच आदि अनेक कार्यक्रम हैं।