मां महिषासुर मर्दिनी के दर्शन के लिए चैतुरगढ़ पहुंच रहे श्रद्धालु
कोरबा। महिषासुर मर्दिनी का मंदिर पहाड़ी पर स्थित है। नवरात्र पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं की पहुंच यहां हो रही है। मैकल पर्वतमाला की एक हिस्से में देवी यहां विराजमान हैं। वहां की कठिन चढ़ाई चढ़ने पर ही भक्तों को देवी के दर्शन हो पाते हैं। नवरात्र में यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचकर दर्शन लाभ ले रहे हैं।
जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर चैतुरगढ़ पूर्ववर्ती लाफा जमींदारी का हिस्सा रहा है। लंबे समय तक इसी स्वरूप में यहां की व्यवस्था संचालित होती रही। वर्तमान में ग्राम पंचायत के अधीन यह क्षेत्र आता है और यहां की व्यवस्थाओं का निर्धारण सुनिश्चित होता है। चैतुरगढ़ की पहचान जैव विविधता, अनुकूल पर्यावरण के साथ-साथ सातवीं शताब्दी के किले के अवशेष और महिषासुर मर्दिनी मंदिर के कारण हो रही है। समय के लंबे सफर और कई प्रकार के उतार-चढ़ाव के कारण हुए परिवर्तन यहां आसानी से महसूस किये जा सकते हैं। हरे-भरे पेड़ों की उपस्थिति और काफी ऊंचाई पर पानी की उपलब्धता इलाके को खास बनाती है। इसी प्रांगण में पत्थरों से निर्मित मंदिर में विराजित हैं देवी महिषासुर मर्दिनी। लाफा जमींदारी के अंतर्गत आने वाले ग्रामों की यह अधिष्ठात्रि के रूप में मान्य है, लेकिन इसके साथ ही बड़े हिस्से के लोग आस्थावश यहां हर मौसम में पहुंचते हैं। चैत्र नवरात्र पर ऐसे धार्मिक स्थानों के लिए अपने आप में विशिष्ट हो गया है। कोरबा जिले में स्थित इस जगह को भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में लिया है और यहां की मूर्ति से लेकर सभी तरह के स्थापत्य को संरक्षित घोषित किया है। समय-समय पर यहां के संरक्षण और अन्य संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी एएसआई उठा रहा है। हाल के वर्षों में मंदिर के अनुरक्षण के लिए विशेष काम किये गए हैं। वर्तमान में 22 मार्च से शुरू हुए चैत्र नवरात्र को लेकर यहां अनुष्ठान किये जा रहे हैं। मंदिर की व्यवस्था में किसी प्रकार के विघ्न न पड़े, इसके लिए पब्लिक ट्रस्ट भी अपना काम कर रहा है। उसकी ओर से आवश्यक प्रकृति के कार्यों को यहां संपन्न कराया गया है। श्रद्धालुओं को बुनियादी सुविधा देने के लिए जरूरी काम ट्रस्ट की ओर से किये जा रहे हैं।