November 22, 2024

ममता के वशीभूत होकर ही मानव बंधन में बंधता है : नूतन पांडेय

0 संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में उमड़ रही आस्था
कोरबा।
इंद्रियों को नियंत्रित करना हो तो इच्छाओं को सर्वप्रथम ईश्वर को अर्पित करें। आंख, जिव्हा, कान ये वो इंद्रियां हैं जो मानव के पतन और उत्थान का माध्यम हैं। अत: इनको नियंत्रित करने में ही मानव का कल्याण निहित है। शाकाहारी व्यक्ति इंद्रियों को अधिक नियंत्रित कर सकते हैं, इसलिए हमें हमेशा सात्विक भोजन करना चाहिए।
उक्त बातें ग्राम तिलकेजा से पधारे प्रख्यात कथा वक्ता पंडित नूतन कुमार पांडेय ने श्री माता कर्मा मंदिर प्रांगण बुधवारी बाजार दीपका में ग्राम सलिहाभांठा निवासी भागीरथी महतो, शांति देवी महतो की ओर से कुल एवं आत्मकल्याण निमित्त आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तृतीय दिवस कही। आचार्य पांडेय ने कहा कि प्रेम सभी से करो लेकिन ममता किसी से नहीं। ममता के वशीभूत होकर ही मानव बंधन में बंधता है, अन्यथा मानव सभी बंधनों से मुक्त है। आचार्य ने कथा प्रसंग के मध्य समाज में बेटियों के महत्व पर भी प्रभावपूर्ण तरीके से प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि जितना महत्व समाज में बेटों की है उतना ही महत्व समाज में बेटियों की है। बेटा तो केवल एक कुल ही रौशन करती है। बेटी पिता और पति दोनों के कुल को रौशन करती है। वो जननी है जिससे संसार चल रहा, लेकिन आधुनिक समाज में आज बेटियों की कमी हो गई है। शादी के लिए वर पक्ष सालों तक योग्य कन्या की तलाश करते रहते हैं। इन परिस्थितियों के जिम्मेदार हम सभी हैं। बेटे-बेटियों में लिंग भेदभाव की संकीर्ण सोंच एवं कन्या भ्रूण हत्या की ही यह परिणीति है, इसलिए यह सोंच अब बदलने की जरूरत है। इसी में समाज एवं जगत का कल्याण निहित है। आचार्य पांडेय ने आधुनिक अंग्रेजी शिक्षा पद्धति में एक धर्म विशेष से संचालित स्कूलों में बच्चों को हिंदू संस्कार से वंचित कर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि हम ऐसे स्कूलों की जगह बच्चों को ऐसे स्कूलों में शिक्षा दिलाएं, जिससे बच्चे योग्य बनने के साथ-साथ संस्कारवान भी बनें।

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