November 22, 2024

जिले में बढ़ी विद्युत की खपत, ट्रांसफॉर्मर भी देने लगे जवाब

0 42 डिग्री के पार हुआ तापमान
कोरबा।
गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले में बिजली की खपत बढ़ गई है। गर्मी से बचने के लिए लोग 24 घंटे पंखा, कूलर और एसी का उपयोग कर रहे हैं। बिजली की खपत 20 मेगावाट तक बढ़ गई है। सामान्य मौसम में कोरबा में 180 मेगावॉट तक खपत होती है, लेकिन मई महीने में यह खपत 200 मेगावाट के पार पहुंच गई है। जैसे-जैसे खपत बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे विद्युत ट्रांसफॉर्मर भी जवाब देने लगे हैं। लोड बढ़ने का असर बिजली उपकरणों पर पड़ रहा है। ट्रांसफॉर्मर भी फेल हो रहे हैं।
जिला मुख्यालय में मानसून आने के पहले मेंटनेंस के नाम पर पांच से छह घंटे बिजली बंद की जा रही है। इसके कारण लोगों का भीषण गर्मी में रहना पड़ रहा है। तापमान का पारा मई महीने में 42 डिग्री को पार कर चुका है। गर्मी से बचने के लिए लोग घरों में दिन रात पंखा, कूलर और एसी का उपयोग कर रहे हैं। इससे गर्मी से लोगों को राहत मिल रही है, मगर बिजली का मीटर तेज गति से घूम रहा है। खपत बढ़ने से विद्युत आपूर्ति व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। बिजली के उपकरण गर्म होकर खराब हो रहे हैं। कई स्थानों पर ट्रांसफॉर्मर जल जा रहे हैं। हर साल गर्मी के दिनों में बिजली की खपत बढ़ जाती है। बिजली खपत बढ़ने का असर शहर की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर भी पड़ता है। खपत बढ़ने से ट्रांसफॉर्मरों में फ्यूज उड़ने की समस्या बढ़ जाती है। ट्रांसफॉर्मर की क्षमता से अधिक लोड होने से कई बार ट्रांसफॉर्मर भी फेल हो जाते हैं। तार गरम होकर टूट भी जाते हंै। तकनीकी बाधाओं के कारण बिजली आपूर्ति व्यवस्था भी प्रभावित हो जाती है। कुछ इसी तरह की स्थिति इन दिनों बन रही है।
0 फ्यूज काल की बढ़ी शिकायतें
कोरबा शहर की बिजली आपूर्ति व्यवस्था के लिए इसे तीन जोन में विभाजित किया गया है। तीनों जोन में मिलाकर सामान्य दिनों में औसतन फ्यूज काल में लगभग 100 शिकायतें आती थी। गर्मी के इस सीजन में फ्यूज काल में प्रतिदिन दो सौ से अधिक शिकायतें सामने आ रही है। फ्यूज काल में शिकायतें बिजली गुल रहने की आती है। कहीं ट्रांसफॉर्मर में दिक्कत है तो कहीं तार टूट रहे है। कहीं घरेलू सर्विस वायर में खराबी की शिकायतें आ रही है तो फ्यूज उड़ने की भी शिकायतें दर्ज हो रही है। इन शिकायतों को दूर करने के लिए बिजली वितरण कंपनी के कर्मचारियों को अतिरिक्त ताकत झोंकनी पड़ रही है। अतिरिक्त संसाधन लगाकर व्यवस्था को बनाकर रखा जा रहा है।

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