बेटा एक तो बेटी दो कुल को तारती हैं : आचार्य अनिल
0 विष्णुकुंज में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में उमड़ रहे श्रोता
कोरबा। हर बेटी को अपनी इच्छा के अनुरूप जीवन जीने का अधिकार है। उसकी भी अपनी कुछ इच्छा है, उसका भी अपना अरमान है। जिस वर के साथ वह अपनी पूरी जिंदगी बिताएगी उसके बारे में उसे ही निर्णय लेने का अधिकार है। अक्सर हम उसकी इच्छा पूछे बगैर उसका विवाह कर देते हैं। धन्य है भारत की बेटियां, माता-पिता जिसके हाथों में उसका हाथ सौंप देते हैं, उनका जीवन पर्यंत साथ निभाती हैं। मायके की सम्मान के लिए स्वयं को ससुराल की सेवा के लिए बेटियां न्यौछावर कर देती हैं।
यह बात आचार्य अनिल तिवारी ने शारदा विहार अमरैयापारा के विष्णुकुंज में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के पांचवे दिन व्यास मंच से कही। कथा में आचार्य ने बालकृष्ण चरित्र व रुक्मणी विवाह का व्याख्यान किया। उन्होंने आधुनिक विवाह में होने वाली विसंगतियों पर कटाक्ष करते हुए बेटियों के सम्मान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पालक अपने वैभव व योग्यता के अनुसार वर ढूंढ़ते हैं कभी बेटी से उसकी वांछित इच्छा नहीं पूछते। आचार्य ने कहा कि बेटा तो एक ही कुल का तारणहार होता है, लेकिन बेटियां दो कुल को तारती हैं। कथा विस्तार में उन्होंने कृष्ण रुक्मणी के विवाह विस्तार से व्याख्यान किया। इसके पहले कृष्ण की बाल लीला व माखन चोरी की कथा ने श्रोताओं को आनंदित किया। गुप्ता परिवार की ओर से आयोजित संगीतमय भागवत कथा रसपान के लिए कथास्थल में श्रद्धालुओं का उत्साह बना हुआ है।