तपती धूप में भू-विस्थापित रैली निकालकर पहुंचे कलेक्टोरेट, समस्याओं का शीघ्र निराकरण करने की रखी मांग
कोरबा। एसईसीएल कुसमुंडा प्रभावित ग्रामीणों की समस्या वर्षों से बनी हुई है। समस्याओं के निराकरण को लेकर कई बार प्रबंधन आश्वासन दे चुका है, मगर आश्वासन केवल झुनझुना ही साबित हुआ है। इसे लेकर अब उन्होंने जिला मुख्यालय में हल्ला बोल करते हुए अपनी मांगों को पूरा करने की मांग की है। इसके बाद भी अगर मांग पूरी नहीं की गई तो वे खदान बंदी करेंगे।
एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र द्वारा अभी तक पुराने अर्जन में ग्राम दुरपा जरहाजेल, गेवरा (आंशिक), बरपाली, बरमपुर (आंशिक), दुल्लापुर मनगांव, भैसमाखार जटराज (आंशिक) सोनपुरी (आंशिक) बरकुटा एवं नए अर्जन में रिसदी, पाली पनिया, जटराज (शेष), सोनपुरी (शष) खोडरी, चुरैल, अमगांव, खैरभावना, गेवरा (शेष) का अधिग्रहण किया गया है। क्षेत्र के ग्रामीण अपनी समस्याओं के संबंध में कई दशक से कुसमुंडा प्रबंधन के समक्ष आवेदन निवेदन एवं आंदोलन कर चुके हैं। प्रबंधन का रवैया उदासीन है। धरना आंदोलन करने पर झूठा आश्वासन देकर गुमराह किया जाता रहा है, जिसके कारण समस्या यथावत बनी हुई है। प्रबंधन का ध्यान केवल कोयला उत्पादन करने में लगा रहता है। कलेक्टर कार्यालय में कई बार त्रिपक्षीय वार्ता हुई है। जिन मांगों पर सहमति बनी एवं कार्रवाई के लिए एरिया एवं मुख्यालय बिलासपुर को भेजा गया है, आज तक कार्रवाई लंबित है। कुसमुंडा प्रबंधन के अधिकारी ग्रामीणों एवं प्रशासन को गुमराह करते आ रहे हैं, जिसके कारण ग्रामीण त्रस्त एवं आकोशित हैं। इसे लेकर ग्रामीण रैली निकालकर कलेक्टोरेट पहुंचे। बीते दिनों विस्थापितों ने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। समस्या का समाधान नहीं होने पर उन्होंने 2 जून को पैदल रैली निकालने की चेतावनी दी थी, जिसके तहत तपती धूप में ग्रामीणों ने रैली निकालकर प्रशासन के सामने अपनी मांग रखी। भू-विस्थापितों ने बताया कि उनकी प्रमुख मांगों में कोल इंडिया पॉलिसी 2012 को रद्द कर राज्य शासन की पुर्नवास नीति के तहत ग्राम के निवासी सभी ग्रामों के प्रत्येक खातेदार को रोजगार प्रदान किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने रत्यो बाई प्रकरण में सीआईएल पॉलिसी 2012 को वैधानिक नहीं माना है। मुनि रोजगार प्रकरण में अर्जन के बाद जन्म लिए, एक ही खातेदार के भूमि का अलग-अलग 02/06/ समय में अर्जन, खाता संयोजन एवं अविवादित रोजगार प्रकरण जो वर्षों से लंबित है समय सीमा तय कर शीघ्र रोजगार प्रदान किया जाए। ग्राम जटराज के डंप से पट चुके खेत का पुन: सर्वे कराकर अन्य लाभार्थियों की तरह मध्य प्रदेश पुर्नवास नीति के अनुसार रोजगार प्रदान किया जाए। अभी तक केवल सात व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया है, जबकि अनेक लोग अभी भी रोजगार से वंचित है। ग्राम रिसदी, खोडरी, पड़निया, सोनपुरी, पाली, जटराज, चुरैल, अमगाव, गेवरा एवं खैरभावना की भूमि एवं मकान का वर्तमान दर 2022-23 के अनुसार मुआवजा निर्धारण कर मुआवजा प्रदान किया जाए। रोजगार की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ किया जाए। रोजगार देने में विलंब करने पर प्रत्येक खातेदार को एकमुश्त मासिक राशि केटे-1 के अनुसार प्रदान किया जाए। शासकीय भूमि दूसरे व्यक्ति की भूमि एवं पारिवारिक सदस्यों के भूमि पर बने मकान का मुआवजा भुगतान 100 प्रतिशत सोलिसियम के साथ किया जाए एवं बसाहट का लाभ प्रदान किया जाए। सोलेसियम नहीं मिलने पर प्राप्त राशि से दूसरे स्थान पर समान क्षेत्रफल का मकान निर्माण करना संभव नहीं है। बसाहट हेतु न्यूनतम 15 डिसमिल भूमि प्रदान किया जाए।