लंबे समय से नहीं की गई दर्री बरॉज की जलकुंभी की सफाई
0 वर्षा ऋतु में पानी छोड़ने के दौरान होगी परेशानी
कोरबा। बांधों के रखरखाव के लिए हर साल भारी भरकम राशि खर्च की जाती है। इसके बाद भी दर्री बरॉज की जलकुंभी की सफाई लंबे समय से नहीं हुई है, जो वर्षा ऋतु में परेशानी का सबब बन सकती है। व्यापक क्षेत्र में जलकुंभी फैली हुई है।
दर्री बांध लगातार जलकुंभी से भरता जा रहा। तीन साल से सफाई कार्य नहीं हुआ है। ऐसे में जलकुंभी का दायरा 13 हेक्टेयर क्षेत्र में फैल गया है। पखवाड़े भर बाद मानसून की शुरुआत हो जाएगी। 84 करोड़ सालाना बजट देने वाला बांध अपनी जलकुंभी विस्तार की समस्या से जूझ रहा है। समय पर जलकुंभी नहीं हटाए गए तो बांध में वर्षा के दौरान गेट से पानी छोड़ने में कठिनाई होगी। जीवन दायिनी हसदेव नदी पर निर्मित दर्री बांध में इन दिनों लहरों की जगह चारों ओर हरियाली नजर आ रही है। जल की सतह पर जलकुंभी का दायरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसे हटाने के लिए प्रतिवर्ष जल संसाधन विभाग की ओर से निविदा जारी की जाती है। इसके लिए पानी लेने वाली औद्योगिक प्रबंधन फंड उपलब्ध कराती है। कोरोना काल के बाद बांध के नियमित सफाई का क्रम लगभग बंद हो गया है। बांध से कोरबा, जांजगीर और रायगढ़ के 23 छोटे बड़े औद्योगिक प्रबंधनों को पानी दिया जाता है। बांध की सफाई व रखरखाव के लिए अतिरिक्त राशि दिए जाने के शर्त पर उन्हें पानी दिया जाता है। औद्योगिक प्रबंधन की ओर से राशि जमा नहीं किए जाने से सफाई का काम ठप है। जलकुंभी एक जलीय पौधा है। यह पानी की स्वच्छता को बनाए रखता है। इसके उपरी सतह में बैठकर पक्षी जलचर कीट का शिकार करते हैंं। पानी में इसकी सीमित क्षेत्र तक होना कारगर है। हवा के बहाव के साथ जल कुंभी एक स्थान से दूसरे स्थान तैरते रहते हैं। वर्षा की तुलना में ग्रीष्म के समय इनका विस्तार अधिक तेजी से होता। जल बहाव के साथ गेट पर आकर अटी जलकुंभी सड़ने लगी है। इससे पानी में गंदगी भी पसरने लगी है। अधिक तादाद में गेट में जमा होने से अब निकालना भी मुश्किल हो गया है।