November 7, 2024

शहर से लेकर गांव तक बिजली व्यवस्था चरमराई, रोजाना हो रही गुल

कोरबा। औद्योगिक नगरी में बिजली आपूर्ति व्यवस्था ने उपभोक्ताओं को रोने पर मजबूर कर दिया है। बार-बार बिजली कट रही है। शहर से लेकर गांव तक बिजली व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। लगभग हर इलाके में रोजाना 8 से 10 बार ट्रिपिंग से बिजली गुल हो रही है। वहीं बिजली विभाग के अधिकारी ओवरलोड की वजह से ट्रिपिंग होने की बात कहते हैं तो कभी आंधी बारिश को कारण बता रहे हैं। आलम यह है कि हर दो घंटे पर ट्रिपिंग हो रही है। इससे लोग परेशान हैं, जबकि मेंटेनेंस के नाम पर बिजली विभाग जून महीने के भरी गर्मी में 5 से 6 घंटा तक बिजली कटौती करता रहा है।
वर्तमान में शहर का ऐसा कोई मोहल्ला नहीं है, जिसमें दिन भर में आठ से दस बार ट्रिपिंग होने से विद्युत कटौती नहीं हो रही है। उमस भरी गर्मी में बिजली विभाग के अघोषित बिजली कटौती से लोग परेशान हो गए हैं। एक दिन में पांच से सात बार बिजली बंद हो रही है और इसकी जानकारी भी विभागीय अफसर स्पष्ट नहीं देते हैं। बिजली कब आएगी पूछने के लिए फोन लगाने पर जिम्मेदार अधिकारी मोबाइल बंद कर देते हैं या फिर मोबाइल ही रिसीव नहीं करते हैं। सबसे बड़ी समस्या रात 11 बजे के बाद होने वाली कटौती से होती है। बिजली बंद होने पर सुधार के लिए डेढ़ से दो घंटे बाद कर्मचारी पहुंचते हैं। बिजली विभाग के अधिकारी पूरी गर्मी में ओवरलोड होने के कारण बिजली बंद होने की बात कहते आए अब मौसम में नमी आने के बाद भी बहानेबाजी की जा रही है।
0 लचर व्यवस्था को लेकर राजस्व मंत्री जयसिंह ने लिखी चिट्ठी
प्री-मानसून मेंटनेंस के बाद भी कोरबा अंचल में पावरकट की समस्या बनी हुई है, जबकि मानसून के दस्तक देने के बाद बिजली तारों व पावर ट्रांसफॉर्मरों पर लोड घटा है। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा अंचल में बिजली सप्लाई व्यवस्था सुधारने बिजली वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक मनोज खरे को पत्र लिखा है। राजस्व मंत्री अग्रवाल ने पत्र में लिखा है कि औद्योगिक नगरी के रूप में कोरबा जिले ने पहचान स्थापित की है, क्योंकि यहां पर उत्पादन कंपनी के ताप आधारित बिजली संयंत्रों के अलावा केन्द्र के सार्वजनिक उपक्रम व निजी संयंत्र भी है। उत्पादन कंपनी की जिले में संचालित संयंत्रों की इकाईयों को भी सर्वश्रेष्ठता का खिताब मिला है। दूसरी ओर कोरबा अंचल के बिजली उपभोक्ता ही बिजली कटौती से परेशान हैं।

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