रोजगार, बसाहट, जमीन वापसी सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर 19 जुलाई को एसईसीएल गेवरा ऑफिस का होगा महाघेराव
0 गांव-गांव में नुक्कड़ सभा, पर्चे बांटकर पीड़ित भू-विस्थापित किसानों को किया जा रहा है एकजुट
0 25 गांव के भू विस्थापित किसान होंगे आंदोलन में शामिल, महाघेराव को लेकर एसईसीएल के साथ वार्ता विफल
कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भू-विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने के साथ 11 सूत्रीय मांगों को लेकर गेवरा कार्यालय का महाघेराव की घोषणा की है। एसईसीएल के आश्वासन से थके भू-विस्थापितों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। आंदोलन को सफल बनाने की तैयारी को लेकर गांव गांव में माइक प्रचार, पोस्टर चिपकाने, नुक्कड़ सभा के साथ घर-घर पर्चे बांटे जा रहे हैं। 19 जुलाई को कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट के गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय के महाघेराव को सफल बनाने की तैयारी ने जोर पकड़ लिया है। आंदोलन को आम जनता का व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।
इधर महाघेराव को टालने के लिए किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल के साथ एसईसीएल प्रबंधन ने बैठक कर आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया। बैठक में एसईसीएल की ओर से गेवरा महाप्रबंधक एसके मोहंती, नरसिमहा राव, किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, जय कौशिक, माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, भू-विस्थापित संघ से शिवदयाल कंवर, राजेश, बसंत, सुभद्रा कंवर, वीर सिंह, बहेतरीन बाई, राजेश, संजय, प्रमोद, ज्ञान सिंह उपस्थित थे। बैठक में किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल की ओर से उपस्थित सभी सदस्यों ने प्रबंधन के आंदोलन स्थगित करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि मांगों पर निर्णय लेने का अधिकार आपके पास है ही नहीं तो आपसे क्या बात करें। बिलासपुर के अधिकारियों को भू-विस्थापितों से बात करने के लिए बिलासपुर के एसी दफ्तरों को छोड़कर सड़कों पर आना ही होगा, तभी आगे की बात होगी। यह कहते हुए किसान सभा के साथ शामिल सभी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बैठक छोड़कर बाहर आ गए।
बैठक में शामिल माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भू-विस्थापितों की मांगों पर निर्णय लेने का अधिकार गेवरा प्रबंधन के पास है ही नहीं तो बैठक का कोई मतलब नहीं है। बिलासपुर के सक्षम अधिकारियों को बैठक में आना चाहिए था, जो निर्णायक निर्णय ले सकें। आश्वासन से अब काम नहीं चलेगा निर्णायक निर्णय एसईसीएल को लेना ही होगा। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गया है। किसान सभा ने कहा कि 19 जुलाई से गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन करने की घोषणा की है। आंदोलन तभी खत्म होगा, जब एसईसीएल प्रबंधन रोजगार, मुआवजा, बसाहट के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा। भू-विस्थापितों के आंदोलन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन दिया है।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद भी किसी सरकार ने और खुद एसईसीएल ने विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली। आज भी हजारों भू-विस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसाहट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एसईसीएल ने अपने मुनाफे का महल किसानों और ग्रामीणों की लाश पर खड़ा किया है। किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भू-विस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है। किसान सभा के नेता दीपक साहू, जय कौशिक आदि ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, बसावट, पुनर्वास गांव में पट्टा, किसानों की जमीन वापसी एवं अन्य समस्याओं को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है और उनके साथ धोखाधड़ी कर रही है, इसलिए किसान सभा और अन्य संगठनों को मिलकर संघर्ष तेज करना होगा, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके। प्रचार अभियान में प्रमुख रूप से शिवदयाल कंवर, बसंत चौहान, वीर सिंह, सुभद्रा कंवर, राजेश, जय कौशिक, संजय, प्रमोद, गोपाल, जोहित शामिल रहे।