October 7, 2024

आर्थिक नाकेबंदी में रातभर सड़क पर डटे रहे सैकड़ों ग्रामीण

0 दूसरे दिन सुबह कुसमुंडा खदान में घुसे, कोयला परिवहन रहा ठप
कोरबा।
एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ नाराज 54 गांव के ग्रामीण पूरी रात आंदोलन में डटे रहे। सड़क पर डेरा जमाकर कोयला परिवहन को रोक दिया था। मंगलवार को भी उनका आंदोलन जारी रहा। आर्थिक नाकेबंदी के दूसरे दिन सैकड़ों की संख्या में भू-विस्थापित खदान में घुसे। आंदोलन के कारण कोल परिवहन प्रभावित रहा।

कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने 54 गांव के हजारों भू-विस्थापितों ने प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में हड़ताल किया। कुसमुंडा खदान का कोयला परिवहन ठप रहा। खदान के अंदर गाड़ियों की लाइन लग गई। भू-विस्थापितों ने लंबित रोजगार प्रकरण, जमीन वापसी, पट्टा, बसाहट और प्रभावित गांव की समस्याओं को लेकर मोर्चा खोला। इस दौरान कोयले की एक भी गाड़ी को अंदर या बाहर आने जाने नहीं दिया गया। आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। आर्थिक नाकेबंदी को सफल बनाने के लिए गांव-गांव में चावल, दाल संग्रहण, मशाल जुलूस और अधिकार यात्रा का जत्था निकलकर नुक्कड़ सभाएं की गई। पर्चे वितरण के बाद हजारों भू-विस्थापित सड़क पर आंदोलन के लिए उतरे। आंदोलन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन किया है। माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि एसईसीएल के कुसमुंडा, गेवरा, दीपका और कोरबा सभी क्षेत्रों के भू-विस्थापितों के लंबित रोजगार, जमीन वापसी, पट्टा, बसाहट और प्रभावित गांव की मूलभूत समस्याओं से निजात के लिए एसईसीएल के अधिकारियों ने कोई ठोस पहल नहीं की है, जिससे सब्र का बांध टूट चुका है। उन्होंने कहा कि एसईसीएल के अधिकारियों का ध्यान केवल भू-विस्थापितों के अधिकारों को छीन कर आपस में लड़वाना है। केवल कोयला उत्पादन को बढ़ाने और उच्च अधिकारियों को खुश करने की है, जिसमें जिला प्रशासन भी एसईसीएल के साथ खड़ा है। प्रबंधन और प्रशासन पहले एकजुट था अब सभी भू-विस्थापित संगठन अपने अधिकार को लेने के लिए एकजुट हो रहे हैं। अब भू-विस्थापित किसानों की एकजुटता के सामने कोई प्रबंधन टिकने वाला नहीं है। बता दें कि इस दौरान सभी ने एकजुट होकर एसईसीएल के खिलाफ संघर्ष करने का ऐलान किया। साथ ही कहा कि एसईसीएल पर भू-विस्थापितों को भरोसा नहीं है। एसईसीएल को कार्य धरातल पर करते हुए कार्यों का रिजल्ट दिखाना होगा। हर बार आंदोलन के बाद झूठा आश्वाशन प्रबंधन देता है, जब तक निर्णायक निर्णय भू-विस्थापितों के पक्ष में नहीं होगा, तब तक कोयला परिवहन बंद रहेगा।

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