अचानकमार टाइगर रिजर्व के रेंजर के निलबंन का मामला चर्चा का विषय बना
कमल दुबे
बिलासपुर 29 अगस्त। दो दिन पहले विधानसभा में बहस के दौरान अचानकमार टाइगर रिजर्व के रेंजर के निलबंन का मामला वन विभाग से लेकर बाहरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है कि एक तरफ रेंजर संदीप ने जान पर खेल कर काम किया। ऊपर से लोगों के दबाव में रेंजर को निलंबित किया जाना ठीक नहीं है। इससे ईमानदार कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा और जंगल माफियों के हौसल भी बुलंद होंगे।
दो दिन पहले विपक्ष के सवाल और मांग पर छत्तीसगढ़ विधानसभा सदन में अचानकमार टाइगर रिजर्व के रेंजर संदीप सिंह को सस्पेन्ड कर दिया गया। संदीप सिंह को तथाकथित जंगल माफियों के खिलाफ कार्रवाई पर ग्रामीणों ने पीटा। इतना ही नहीं बल्कि संदीप सिंह से उठक बैठक करवाया गया। लेकिन उन्हें ग्रामीणों को प्रताड़ित किए जाने आरोप में निलंबित कर दिया गया। जंगल पर काम करने वाले एक्टिविस्ट नितिन सिंघवी ने एक पत्र लिखकर वन मंत्री को बताया है कि कार्यवाही से आमजन में उचित सन्देश नहीं गया है।
वन मंत्री को लिखे पत्र में सिंघवी ने बताया कि सच तो यह है कि जिस बात की सजा रेंजर को मिली है। उसने ऐसा कुछ किया ही नहीं है। उन्होेने बताया कि रेंजर के हिप ज्वाइंट का ऑपरेशन दो साल पहले हुआ था। ग्रामीणों ने बंधक बनाकर उन्हें दो महिला कर्मचारियों के साथ उठक बैठक करवाया। 6 घंटे बंधक बनाए रखने के दौरान रेंजर को हिप ज्वाइंट में मारा गया। गार्ड के गले में चोट पहुंचाई गयी। वन विभाग के 3 कर्मचारी अस्पताल में 3 दिन भर्ती रहे। रेंजर 7 दिन भर्ती रहे। धान सभा को बताया कि ग्रामीणों ने रेंजर की उठक बैठक करवाई गयी। इसका वीडियो भी उपलब्ध है। बावजूद इसके रेंजर को निलंबित किया जाना ठीक नहीं है।
सिंघवी ने बताया कि रेंजर को मार्च 2020 में एक तेंदुए को जाल से पकड़ने के फोटो ट्रैप कैमरे में मिले कोर क्रिटिकल हैबिटेट सुरही रेंज के थे। जाल में फसने और चोट लगने के कारण तेंदुए की तीन दिन बाद कानन पेंडारी जू में मौत हो गयी। अप्रैल 2020 में 4 ग्रामीण धनुष तीर के साथ ट्रैप कैमरे में उसी सुरही रेंज में पाए गए। रेंजर ने 12 कर्मचारियों और डॉग स्क्वायड के साथ शिकारी गतिविधियों शामिल लोगों के यहां छापा मारा। मौके से व्यापक मात्रा में हथियार, धनुष, खून से सने तीर पाए गए। इसके बाद कार्रवाई से नाराज ग्रामीणों ने रेंजर और कर्मचारियों को बंधक बनाकर पीटा। दुसरे दिन जाँच में पुलिस जीप पर भी पथराव किया गया।
एक्टिविस्ट ने बताया कि वन विभाग रेंजर और कर्मचारी कार्रवाई के दौरान ग्रामीणों से मार खाते हैं। घंटो बंधक रहते है। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया जाता है। उनमे से एक, रेंजर संदीप सिंह को कर्तव्य पूर्ण करने के कारण निलंबन किए किया जाना आश्चर्य की बात है। पत्र में सिंघवी ने बताया कि इस प्कार की कार्रवाई से कुछ बचे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी और कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा। कर्मचारियों में वन एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति अरुचि उत्पन्न हो जाएगी। हमारे राज्य में अवैध कटाई एवं शिकार की प्रवृति की जानकारी सबको है। फिर इस प्रकार की कार्रवाई राज्य के हित में नहीं है। सिंघवी ने मांग की है कि रेंजर का निलंबन तत्काल वापस लिया जाए। जांच के बाद जो भी पक्ष दोषी हो हो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाए।
घटना का विरोध कर चुकी है प्रेरणा सिंह बिंद्रा
देश के वन्यजीव संरक्षण में कार्य करने वाली प्रसिद्ध लेखिका, नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग समिति की एवं उत्तराखंड वाइल्डलाइफ बोर्ड की पूर्व सदस्य प्रेरणा सिंह ने घटना पर दुख जाहिर किया है। मई 2020 में मामले को संज्ञान लेते हुए प्रेरणा सिंह ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को अचानकमार मेें तेंदुए शिकार प्रकरण पर कार्यवाही करने की मांग करते हुए पत्र लिखा था । पत्र में प्रेरणा सिंह ने अपमानित किये गए फ्रंट लाइन स्टाफ के साथ न्याय की मांग की है। प्रेरणा सिंह ने छत्तीसगढ़ की हालत पर बहुत दुखी है। उन्होने बताया कि अचानकमार में ना तो टाइगर सेल है ना ही स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फ़ोर्स।