October 7, 2024

कोयला खदानों के बेकार पड़े पत्थर कर देंगे मालामाल

0 सिंफर की जांच में खनिज होने का हुआ है खुलासा
कोरबा।
खदानों से निकालने वाले कोयला से ऊर्जा जरूरतें पूरी हो रही है। कोल इंडिया को कोयले से भारी भरकम मुनाफा हो रहा है। अब कोयले के अलावा ओवर बर्डन (ओबी) में बेकार पड़े पत्थर भी कंपनी को मालामाल कर सकते हैं। जांच में पता चला है कि ओवर बर्डन के पत्थरों में बेशकीमती खनिज छिपा हुआ है। कोल इंडिया अब कोयले के बाद बेशकीमती खनिज में भी पहचान बना सकता है।
कोल इंडिया लिमिटेड की 8 राज्यों में कोयला खदानें संचालित हो रही है। झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना आदि राज्यों में कोयला बहुतायत है। कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों की खुली खदानों में कोयला निकालने के लिए ओवर बर्डन को निकाला जाता है। खदानों के समीप ओवर बर्डन के बड़े-बड़े पहाड़ बने हुए हैं। खदानों से मिट्टी के साथ निकलने वाले पत्थर को अब तक बेकार समझा जाता रहा है। लेकिन अब ओवर बर्डन के सैंपल की जांच से पता चला है कि इसमें क्वार्ट्ज, ओलिनाइट, जिप्सम, मेलानटेराइट, रोजेनाइट, हेमेटाइट और पाइराइट जैसे बेशकीमती खनिज मौजूद है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सिंफर) की रिपोर्ट में इसका पता चला है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल हुआ तो देश को काफी फायदा होगा। एसईसीएल की बात की जाए तो तीन मेगा परियोजनाओं सहित कोरबा में खुली खदानें संचालित है। इनमें गेवरा, कुसमुंडा, दीपका मेगा परियोजना है तो मानिकपुर और सराईपाली खुली खदानें हैं। इस लिहाज से कोरबा जिले से सर्वाधिक ओवर बर्डन के बड़े-बड़े पहाड़ बने हुए हैं। इनका अपने स्तर पर इस्तेमाल की योजना कंपनी प्रबंधन बनाती रही है। भविष्य में वह कीमती खनिज देने वाली साबित होगी यह उम्मीद है। ऐसा हुआ तो जिले से कोयला में भारी भरकम कमाई के बाद खनिज से भी अतिरिक्त आय अर्जित होगी। शुरुआती जांच से मिले संकेतों में रोजेनाइट, हेमटाइट और पाइराइट जैसे खनिजों की पहचान की गई है। ओवर बर्डन में इन खनिजों को उपलब्ता है। इसे काफी विदेशी मुद्रा की बचत होगी। यह खनिज देश में फिलहाल नहीं है या बहुत कम मात्रा में है।
0 रेत संयंत्र किये जा रहे हैं स्थापित
कोल इंडिया ने ओबी से रेत बनाने की योजना तैयार की है। इसके तहत रेत संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। कोरबा एरिया में स्थित मानिकपुर में भी योजना शामिल है। यहां से 1 हजार क्यूबिक मीटर रेत बनाया जायेगा। फरवरी 2024 तक इस संयंत्र के चालू होने की उम्मीद है। इसके लिए 5 संयंत्र स्थापित किए जा रहे है।

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