पट्टा देने और अधिग्रहित जमीन को मूल किसानों को लौटाने के साथ रोजगार सहित 14 मांगों पर किसान सभा की मांग पर हुई त्रिपक्षीय वार्ता
0 गंगानगर में तोड़े गए शौचालय के साथ सुराकछार बस्ती के प्रभावित किसानों को एक माह में मुआवजा भुगतान करने को कहा अपर कलेक्टर नाग ने
0 बसाहट गांव के मूलभुत सुविधाओं का सर्वे के साथ बांकी की बंद खदान के पानी को किसानों को सिंचाई के लिए देने की बनी सहमति
0 लंबित रोजगार प्रकरणों में रोजगार देने के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रस्ताव भेजने का आश्वासन दिया प्रशासन न
0 किसान सभा ने मांगों के समाधान होता नहीं दिखने पर 10 अक्टूबर को गेवरा खदान बंद की घोषणा की
कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में एसईसीएल के क्षेत्र में काबिज भू-विस्थापितों को पट्टा देने, पूर्व में अधिग्रहित भूमि मूल खातेदार किसानों को वापस करने, लंबित रोजगार प्रकरणों, पुनर्वास एवं खनन प्रभावित गांवों की समस्याओं के निराकरण के साथ 14 सूत्रीय मांगों को लेकर 50 से अधिक गांव के भू विस्थापितों ने कलेक्टोरेट का 8 घंटे तक घेराव कर दिया था। भू-विस्थापितों के पीछे नहीं हटने पर जिला प्रशासन ने लिखित रूप से त्रिपक्षीय वार्ता का आश्वाशन दिया था। त्रिपक्षीय वार्ता कलेक्टोरेट में हुई। वार्ता में अपर कलेक्टर दिनेश कुमार नाग, एसईसीएल के चारों क्षेत्र के अधिकारी, किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल की ओर से माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा से जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, सुभद्रा कंवर, बहेतरीन बाई, बसंत चौहान, विजय कंवर, देव पटेल, रम्मे लाल, शिवदयाल, रेशम यादव, दामोदर श्याम के साथ बड़ी संख्या में भू-विस्थापित उपस्थित थे। बैठक में एसईसीएल के महाप्रबंधकों के नहीं पहुंचने पर अपर कलेक्टर ने एसईसीएल के अधिकारियों को फटकार भी लगाई।
बैठक में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने भू-विस्थापितों को पट्टा देने, जमीन वापसी के साथ साथ लंबित रोजगार प्रकरणों का वन टाइम सेटलमेंट कर रोजगार देने के साथ सभी 14 सूत्रीय मांगों की ओर अधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराते हुए समस्याओं के निराकरण की मांग की। सभी मांगों को गंभीरता से सुनने के बाद अपर कलेक्टर ने जिला प्रशासन द्वारा रोजगार समेत सभी मांगों के समाधान को लेकर प्रस्ताव बनाकर एसईसीएल को भेजने का आश्वाशन दिया। अपर कलेक्टर ने गंगानगर में तोड़े गए मकानों, शौचालयों का क्षतिपूर्ति देने के लिए गेवरा प्रबंधन को कहा। साथ ही सुराकछार बस्ती के किसानों को डिप्लेयरिंग से हुए नुकसान का क्षतिपूर्ति मुआवजा एक माह में देने के लिए कोरबा प्रबंधन को कहा। साथ ही सभी पुनर्वास गांव का सर्वे कर मूलभुत सुविधाओं को उपलब्ध कराने पर सभी क्षेत्र के अधिकारी तैयार हुए। बांकी की बंद खदान के पानी को मड़वाढोढ़ा, पुरैना, बांकी बस्ती के किसानों को सिंचाई के लिए देने का सर्वे कार्य एक सप्ताह में करने की बात कोरबा प्रबंधक ने कही।
जिला प्रशासन और एसईसीएल के आश्वाशन से थके भू-विस्थापितों ने कहा कि मांगों पर गंभीरता से पहल शुरू नहीं होने पर किसान सभा के नेतृत्व में 10 अक्टूबर को कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट गेवरा खदान में महाबंद आंदोलन किया जाएगा। अब लड़ाई रुकने वाली नहीं है जब तक भू-विस्थापितों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती।
माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि जिला प्रशासन की मदद से ही एसईसीएल द्वारा कुसमुंडा, गेवरा, कोरबा, दीपका क्षेत्र में कई गांवों का अधिग्रहण किया गया है। इस जबरन अधिग्रहण का शिकार गरीब किसान हुए हैं। आज भी हजारों भू-विस्थापित पट्टा, जमीन वापसी, रोजगार, बसावट और मुआवजा के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। अधिग्रहण के बाद जिन जमीनों पर 40 साल में भी कोल इंडिया ने भौतिक कब्जा नहीं किया है और मूल किसान ही पीढ़ियों से काबिज है, उन्हें किसानों को वापस किया जाना चाहिए। जब किसानों की जबरन अधिग्रहित भूमि पर काबिज लोगों को पट्टे दिए जा रहे हैं, तो पुनर्वास गांवों के हजारों भू-विस्थापित किसानों को पट्टों से वंचित रखना समझ के परे हैं। माकपा और किसान सभा इस बर्बादी के खिलाफ भू-विस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है। भू-विस्थापित नेता रेशम यादव, दामोदर श्याम ने कहा कि जिनकी जमीन एसईसीएल ने ली है, उन्हें बिना किसी शर्त के रोजगार दिया जाये, क्योंकि जमीन ही उनके जीने का एकमात्र सहारा थी। आज भू-विस्थापित भूखमरी की कगार पर खड़े हैं, इसलिए पूरे परिवार सहित हजारों भू-विस्थापित परिवार सहित कलेक्टोरेट घेराव में शामिल हुए हैं।
0 भू-विस्थापितों की मांगें
- पुनर्वास गांव में कबीज भू-विस्थापित परिवार को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाए।
- कोल इंडिया द्वारा पूर्व में अधिग्रहित किये गये जमीनों को मूल खातेदार किसानों को वापस कराई जाए। अधिग्रहण के बाद जिन जमीनों पर 40 साल में भी कोल इंडिया ने भौतिक कब्जा नहीं किया है और जिन जमीनों पर किसान ही पीढ़ियों से काबिज है उन्हें किसानों के नाम वापस किया जाए।
- पूर्व में अधिग्रहित गांव के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों का वन टाइम सेटलमेंट कर सभी भू-विस्थापितों को रोजगार प्रदान किया जाए।
- जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है और की जा रही है उन सभी छोटे-बड़े खातेदारों को रोजगार प्रदान किया जाए।
- शासकीय भूमि पर कबीजों को भी परिसंपत्तियों का पूर्ण मुआवजा एवं बसावट दिया जाए।
- एसईसीएल में आउटसोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू-विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को 100 फीसदी रोजगार में रखा जाए।
- प्रभावित एवं पुनर्वास गांव की महिलाओं को स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
- पुनर्वास गांव गंगानगर में तोड़े गए मकानों, शौचालयों का क्षतिपूर्ति मुआवजा तत्काल दिया जाए।
- डिप्लेयरिंग प्रभावित गांव सुराकछार बस्ती के किसानों को हुए नुकसान का क्षतिपूर्ति मुआवजा प्रदान किया जाए।
- बांकी माइंस की बंद खदान के पानी को मड़वाढोढ़ा, बांकी बस्ती, पुरैना और आसपास के खेतों की सिंचाई और तीनों गांव के तालाबों को भरने की व्यवस्था की जाए।
- पुनर्वास सभी गांव को पूर्ण विकसित मॉडल गांव बनाया जाए और सभी मूलभूत सुविधाएं पानी बिजली नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाए।
- भू-विस्थापित परिवारों के सभी सदस्यों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किया जाए।
- पुराने लंबित रोजगार प्रकरण में जिन भू-विस्थापितों का सत्यापन नहीं हुआ है उनका शिविर लगाकर सत्यापन कराया जाए।
- जिन किसानों की जमीन एसईसीएल में अधिग्रहण हुआ है उन्हें जब तक रोजगार, मुआवजा एवं अन्य सुविधा प्रदान नहीं की जाती तब तक भू-विस्थापित किसान के जमीन पर किसी प्रकार का खनन कार्य नहीं किया जाए।