मंदिरों में चल रहा सजावट का कार्य, दुर्गा पंडाल भी ले रहे आकर्षक रूप
0 जिले में शारदीय नवरात्र की जोर शोर से चल रही तैयारियां
कोरबा। शारदीय नवरात्र को शुरू होने अब बस कुछ ही दिन शेष हैं। माता के दरबार सजाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। आदिशक्ति मां जगदंबा की उपासना का पर्व नवरात्र इस साल 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। कोरबा जिले की प्रथम आराध्य देवी मां सर्वमंगला के दरबार में भी तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है।
कोरबा जिले के हसदेव नदी के किनारे स्थित मां सर्वमंगला मंदिर में देवी मां से मांगी गई हर मुरादें पूरी होती है। यही कारण है कि राज्य और देश के अलावा विदेश से भी यहां माता के मंदिर में मनोकामना ज्योति कलश जलवाए जाते हैं। देवी मां का यह मंदिर करीब 124 साल पुराना है, जिसको लेकर कोरबावासियों की आस्था काफी गहरी है। कोरबा के साथ ही पूरे प्रदेश वासी मां सर्वमंगला को काफी मानते हैं। यही वजह है कि नवरात्र के समय यहां श्रद्धालु दर्शन करने लाखों की संख्या में पहुंचते हैं। नवरात्र में मनोकामना ज्योति कलश के लिए रशीद कटनी शुरू हो गई है। मंदिर के पुजारी मयंक पांडे ने बताया कि अब तक तेल ज्योति कलश के लिए 2500 और घृत ज्योति कलश के लिए 400 रसीद कट चुकी है। इसमें एक रसीद नीदरलैंड और एक अमेरिका से भक्तों ने जोत जलवाने के लिए कटवाई है। प्रत्येक वर्ष नवरात्र में लगभग 8000 हजार मनोकामना ज्योति मंदिर में प्रज्ज्वलित किए जाते हैं। इस बार भी पूरे 9 दिन देवी मां की पूजा व सेवा करने उनके भक्तों को मिलेगा। जिले के देवी दरबारों की महिमा न केवल कोरबा वरन प्रदेश व देश विदेश में रहने वाले भक्तों में है। ऐसा कुछ अलग करने की कोशिश नगर की दुर्गोत्सव समितियों ने इस बार की है, ताकि पंडालों में विराजित मां के साथ भव्य देवी पंडाल लोगों के लिए यादगार रहे। यही वजह है कि हर आयोजन समिति कुछ न कुछ हटकर तैयारी करने में जुटी हुई है। देवी पंडालों में अधिकांश समितियों द्वारा कोलकाता के साथ दक्षिण भारत के प्राचीन मंदिरों की छवि तैयार कराई जा रही है। अमरैय्यापारा में कोलकाता के मंदिर का स्वरूप पंडाल को दिया जा रहा है। आरएसएस नगर की दुर्गा पूजा समिति द्वारा दक्षिण भारत के प्राचीन महल के रूप में पंडाल को आकार दिया जा रहा है। ऊंचाई के नाम पर सबसे अधिक ऊंचा देवी पंडाल एमपी नगर का बन रहा है। इस बार यहां के पंडाल की उंचाई 65 फीट के करीब होगी, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा।