December 25, 2024

पाली-तानाखार में कांग्रेस ने खेला महिला टिकट का दांव

0 मौजूदा विधायक मोहित राम केरकेट्टा पर दुलेश्वरी सिदार को तरजीह
कोरबा।
पाली-तानाखार एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां कांग्रेस का मजबूत जनाधिकार है। 1993 से लेकर 2018 तक हुए छह चुनावों में भाजपा यहां तीसरे दर्जे की पार्टी रही है। भाजपा ने 33 साल पूर्व 1990 में इस सीट से चुनाव जीता था। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच रहा है। 2023 के चुनाव में भाजपा ने पाली-तानाखार से रामदयाल उइके को फिर से चुनावी मैदान पर उतारा है, जबकि गोंगपा से तुलेश्वर सिंह मरकाम प्रत्याशी हैं।
बुधवार को कांग्रेस ने 53 प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की। पार्टी ने पाली- तानाखार से महिला प्रत्याशी दुलेश्वरी सिदार को अपना उम्मीदवार बनाया है। दुलेश्वरी जनपद पंचायत की अध्यक्ष हैं। 2023 के चुनाव में हीरा सिंह मरकाम नहीं हैं। उनके दिवंगत होने के बाद बेटे तुलेश्वर सिंह पार्टी के सुप्रीमो हैं और पाली- तानाखार से किस्मत भी आजमा रहे हैं। माना जा रहा है कि हीरा सिंह मरकाम के नहीं होने से गोंगपा को नुकसान हो सकता है। यानी पार्टी के वोट शेयर में गिरावट आ सकती है। बावजूद इसके पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए कहा जा सकता है कि मुकाबला कांग्रेस बनाम गोंगपा होगा। भाजपा उम्मीदवार रामदयाल उइके इस सीट से कांग्रेस पार्टी से तीन बार विधायक रहे चुके हैं। 2018 में भाजपा से चुनाव लड़ा था। यानी वे पांचवी बार पाली-तानाखार से चुनावी मैदान पर उतरे हैं। उइके पूरे विधानसभा क्षेत्र से भलीभांति परिचित हैं और सक्रिय भी। कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार और नए चेहरे दुलेश्वरी सिदार को उतार बड़ा दांव खेला है। सीटिंग एमएलए मोहितराम केरकेट्टा की टिकट काट एंटी-इनकम्बेंसी को दूर करने का काम किया है। दुलेश्वरी पंचायत अध्यक्ष भी हैं। बहरहाल देखना यह होगा कि कांग्रेस अपने गढ़ को बचा पाती है या नहीं या फिर भाजपा 33 सालों के सूखे को खत्म करेगी। दूसरी ओर गोंगपा के तुलेश्वर सिंह मरकाम पर खास नजर रहेगी कि वे अपने पिता की तरह मतदाताओं पर पकड़ बना पाते हैं या नहीं।
0 महिला को मौका और जीती कांग्रेस
इस सीट पर 1972 के चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर महिला प्रत्याशी यज्ञसेनी देवी को टिकट दी थी, लेकिन निर्दलीय लालकीर्ति कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया था। हालांकि 1962 एवं 1957 के चुनाव में यज्ञसेनी देवी ने बतौर कांग्रेस प्रत्याशी जीत हासिल की थी। 1957 से लेकर 2018 तक हुए चुनाव में कांग्रेस ने आठ बार इस सीट पर सफलता प्राप्त की है। दो बार निर्दलीय, दो बार भाजपा एवं एक-एक दफे गोंगपा एवं जनता पार्टी को विजय मिली है। 2023 के चुनाव के लिए कांग्रेस, गोंगपा और भाजपा तीनों दल के उम्मीदवार चुनावी मैदान पर उतर चुके हैं।
0 गोंगपा से फिर टक्कर की उम्मीद
1993 से 2018 तक के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच सीधी टक्कर होते रही है। इस मुकाबले में 1998 के चुनाव में ही गोंगपा उम्मीदवार हीरा सिंह मरकाम को जीत मिली थी। 1993, 2003, 2008, 2013, 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था। भाजपा ने इस सीट पर 1985 एवं 1990 के चुनाव में विजय हासिल की थी। 1985 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सुप्रीमो रहे दिवंगत हीरा सिंह मरकाम ने भाजपा को यह सीट जीत कर दी थी। बाद में दादा के नाम से मशहूर हीरा सिंह मरकाम ने भाजपा को अलविदा कह अपनी पार्टी (गोंगपा) का गठन किया और 1990 से 2018 तक हुए सात चुनावों में स्वयं चुनाव लड़ा। 1985 के बाद 1990 के चुनाव में भाजपा के अमोल सिंह सलाम को जीत मिली थी। इसके बाद 33 साल हो गए भाजपा यहां तीसरे नंबर की पार्टी बनी हुई है। भाजपा की टिकट से 2023 का चुनाव लड़ रहे रामदयाल उइके 2018 के चुनाव के पहले तक कांग्रेस में थे। रामदयाल उइके ने 2003, 2008, 2013 का चुनाव कांग्रेस से लड़ा और जीत की हैट्रिक लगाई थी। 2018 में भाजपा की टिकट लेकर उइके मैदान पर उतरे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। रामदयाल उइके को 18.53 फीसदी वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे। 2018 का चुनाव कांग्रेस के मोहितराम केरकेट्टा ने जीता था। दूसरे नंबर पर गोंगपा के हीरा सिंह मरकाम थे।

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