क्षेत्रीय पार्टियां और निर्दलीय लगा रहे जोर, वोटों का बिगड़ेगा समीकरण
0 वोट बैंक में सेंध लगाने बिछने लगी है बिसात
कोरबा। विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान को अब महज 10 दिन शेष रह गए हैं। राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीय और क्षेत्रीय पार्टियां वोटों के लिए सघन जनसंपर्क कर रहे हैं। जिले की चारों विधानसभा सीटों पर 51 प्रत्याशी मैदान में हैं। ऐसे में साफ है कि निर्दलीय और क्षेत्रीय पार्टियां वोटों का समीकरण बिगाड़ेंगे। वोट बैंक में सेंध लगाने बिसात बिछने लगी है।
निर्दलीय व छोटी पार्टियों ने बड़ी पार्टियों के नाक पर दम कर दिया है। पार्टियों को पिछली बार की तुलना में इस बार अधिक वोट कटने का डर सता रहा है। यही कारण है अब पार्टियां अंतिम एक सप्ताह में पूरी ताकत झोंक रही है। ऐसे बूथ जहां नोटा पर दहाई से अधिक वोट पड़े थे, वहां पर अपनी पार्टियों के प्रत्याशियों का प्रचार शोर-शराबा की बजाए डोर-टू डोर कर किया जा रहा है। इस बार पार्टियों के वोट गणित के मुताबिक जीत हार का अंतर काफी कम हो सकता है। ऐसे में नोट वाले वोट काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। निर्दलीय प्रत्याशियों के मैदान में उतरने से दोनों दलों के बीच मुकाबला रोचक होता जा रहा है। पार्टियां अपने वोटों को सहेजने में लगे हुए हैं। जिले की सबसे हाइप्रोफाइल सीट में पिछली बार कांग्रेस और भाजपा के वोट बैंक में अंतर सिर्फ 11 हजार वोटों का था। निर्दलियों के खाते में ही करीब 13 हजार वोट आ गए थे। इसके अलावा नोटा में 11 सौ वोट पड़े थे। ये वोट भाजपा-कांग्रेस के लिए काफी मायने रखते हैं। इस बार भाजपा, कांग्रेस, आप और जकांछ के अलावा 15 और प्रत्याशी मैदान में हैं। निर्दलियों के मैदान में आने से वोट कटने की संभावना अब बढ़ गई है। कटघोरा विधानसभा सीट में पिछली बार भाजपा और कांग्रेस दोनों के बीच वोटों का अंतर सिर्फ 11 हजार वोट का था। भाजपा-कांग्रेस के अलावा कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे। निर्दलियों के खाते में कुल 14 हजार वोट गए थे। इस बार भी इसी तरह की स्थिति बन रही है। भाजपा-कांग्रेस दोनों को डर है कि उनके वोट बैंक वाले क्षेत्रों में निर्दलीय या छोटे दल वोट काट दें तो मुश्किलें बढ़ना तय है। इस बार यहां कुल 14 प्रत्याशी मैदान में है। पाली-तानाखार विधानसभा में इस बार सबसे दिलचस्प मुकाबला है। इस बार भी नौ प्रत्याशी मैदान में हैं। पिछली बार निर्दलियों के खाते में करीब 10 हजार वोट गए थे। कांग्रेस से गोंगपा की हार महज 11 हजार की थी। एक समय ऐसा था कि गोंगपा ने जीत की खुशी तक मनाना शुरू कर दी थी, लेकिन आखिरी चरणों में गोंगपा के वोट बैंक में निर्दलियों ने अधिक वोट काट दिया था। इस कारण से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।
0 नोटा वाले वोट बैंक पर नजर
निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ-साथ पिछली बार नोटा ने भी जीत-हार के अंतर का फासला बढ़ाया था। कोरबा में 1008, कटघोरा में 2867 तो वहीं पाली-तानाखार में सबसे अधिक 5128 वोट नोटा पर पड़े थे। पार्टियां निर्दलीय वोट बैंक के साथ इन नोटा वाले वोटों पर अपनी नजर रखनी शुरू कर दी है।