November 7, 2024

तीनों मेगा परियोजना गेवरा, दीपका और कुसमुंडा लक्ष्य से पीछे

0 एसईसीएल को करना है 197 मिलियन टन कोयला उत्पादन
कोरबा।
एसईसीएल को सालाना 197 मिलियन टन कोयला उत्पादन का टारगेट दिया गया है। इस लक्ष्य का अधिकांश कोयला जिले की तीनों मेगा परियोजना गेवरा दीपका और कुसमुंडा से खनन किया जाना है। वित्तीय वर्ष के आठ माह में तीनों ही मेगा परियोजना लक्ष्य से पीछे चल रही है। मेगा परियोजनाओं के लक्ष्य से पिछड़ने के कारण अफसरों की चिंता बड़ी हुई है। लगातार में इन परियोजनाओं का दौरा कर उत्पादन और डिस्पैच बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
कोयला उत्पादन में मेगा परियोजनाओं के पिछड़ने से एसईसीएल मुख्यालय के अफसर चिंतित हैं। स्थानीय प्रबंधन पर जमीन से संबंधित समस्या का हल निकालने दबाव है। विस्तार में देरी हो रही है। कोयला उत्पादन को लेकर मेगा परियोजनाओं की स्थिति एसईसीएल के लिए संतोषजनक नहीं है। मेगा परियोजनाओं में उत्पादन में पिछड़ता जा रहा है। इसका असर रोजाना कोयला खनन के लक्ष्य पर पड़ रहा है। मंजिल तक पहुंचने के लिए एसईसीएल की मेगा परियोजनाओं के प्रबंधन पर रोजाना भारी भरकम कोयला खनन का दबाव है। वर्तमान साधन संसाधन के बूते यह राह मुश्किल दिखाई दे रही है। चालू वित्तीय वर्ष में कुसमुंडा प्रबंधन के समक्ष 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन की चुनौती है। यहां तक पहुंचने के लिए प्रबंधन लगातार प्रयास कर रहा है। मगर बमुश्किल 1.60 लाख टन से लेकर 1.70 लाख टन कोयला बाहर निकल पा रहा है। इधर नवंबर का महीना एसईसीएल के लिए संतोषजनक रहा है। नवंबर में कंपनी ने 14.76 मिलीयन टन कोयला उत्पादन किया है। इसमें मेगा प्रोजेक्ट गेवरा का योगदान सबसे अधिक है। कुसमुंडा और दीपका बदौलत एसईसीएल 14 मिलियन टन तक पहुंचा है। इससे स्थानीय प्रबंधन के साथ-साथ कोयला कंपनी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।
0 विस्तार में बनी हुई है चुनौती
वर्तमान में दीपका खदान का विस्तार ग्राम मलगांव की ओर हो रहा है। खदान गांव की बस्ती तक पहुंच गया। यहां से आगे नहीं बढ़ सक रहा है। इसकी बड़ी वजह स्थानीय लोगों का बढ़ता विरोध है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रबंधन ने खदान विस्तार के लिए उनकी गांव की जमीन का अधिग्रहण किया है। प्रबंधन ने जमीन बदले पात्र लोगों को कंपनी में स्थाई नौकरी, बसाहट और पुनर्वास देने का वादा किया था। अस्थाई रोजगार का भरोसा दिया था। मगर अभी तक कंपनी ने अपना वादा पूरा नहीं किया है। नौकरी और पुनर्वास को लेकर पेंच फंसा हुआ है। पात्र होने के बाद भी कई लोगों को नौकरी नहीं मिली है। मुआवजा के निर्धारण में गड़बड़ी हुई है। इससे गांव के लोग खदान विस्तार के लिए जमीन देने को तैयार नहीं हैं। लोगों का कहना कि प्रबंधन जब तक उनकी मांग को पूरा नहीं कर देता जमीन से नहीं हटेंगे।
0 कोयला उत्पादन पर पड़ रहा असर
स्थानीय लोगों के विरोध का सीधा असर दीपका प्रबधंन पर पड़ रहा है। कोयला खनन में कंपनी पिछड़ रही है। एसईसीएल प्रबंधन ने दीपका खदान से चालू वित्तीय वर्ष में 40 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। दिसंबर चालू हो गया है। मगर उत्पादन 18.39 मिलियन टन हुआ है, जबकि अभी तक 22.21 मिलियन टन कोयला खनन किया जाना था। जमीन नहीं मिलने से दीपका प्रबंधन कोयला खनन के रोजाना लक्ष्य को पूरा नहीं कर सक रहा है। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दीपका प्रबंधन को रोजाना एक लाख 35 हजार टन कोयला बाहर निकालने की जरूरत है। मगर बड़ी मुश्किल से 75 हजार टन कोयला उत्पादन हो रहा है।

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