November 7, 2024

फुटपाथ पर ठेला-गुमटी वालों का कब्जा, पैदल चलने लोगों को नहीं मिल रही जगह

0 अतिक्रमण की जद में शहर का फुटपाथ
कोरबा।
शहर के फुटपाथ पर बेजा कब्जा की बाढ़ आ गई है। फुटपाथ पर दुकानें लग रही है। पैदल चलने के लिए लोगों को जगह नहीं मिल रही है। सड़क किनारे गाड़ियां पार्किंग की जा रही है, जिसके कारण यातायात व्यवस्था तो बिगड़ ही रही है, शहर में किए गए करोड़ों के सौंदर्यीकरण के कार्य पर भी ग्रहण लग गया है। शहर के आईटीआई चौक से सीतामढ़ी तक फुटपाथ अतिक्रमण की जद में आ चुका है। जिम्मेदारों के द्वारा कार्रवाई नहीं करने के कारण इस तरह की स्थिति शहर में निर्मित हो चुकी है।

सड़क किनारे किए गए बेजाकब्जा हटाने की प्रमुख रूप से जिम्मेदारी नगर निगम की है। तोड़ूदस्ता और बेजाकब्जा हटाने के लिए पहले से ही अधिकारी नियुक्त हैं। फुटपाथ पर हो रहे कब्जे को लेकर सख्त कार्रवाई नहीं किए जाने से न केवल शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ रही बल्कि सौंदर्यीकरण पर भी ग्रहण लग रहा है। व्यवस्था बनाने निगम ने करोड़ों रुपये का निर्माण कार्य करा लिया है पर इसे अमलीजामा पहनाने में असफल है। समय रहते कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण एक व्यवसायी की देखा देखी दूसरे भी सड़क पर कब्जा करने लगे हैं। इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। घंटाघर के निकट पेट्रोल पंप के सामने फुटपाथ में दुकानें ही दुकानें लग रही है। मिनीमाता कॉलेज मार्ग, महाराणा प्रताप चौक, बुधवारी में भी फुटपाथ पर कब्जा हो चुका है। निगम ने आम लोगों के लिए फुटपाथ का निर्माण किया है, लेकिन व्यवसायियों ने इसमें अपना सामान रखने और दुकान लगाने की जगह बना ली। ऐसे में पैदल चलने वालों का सड़क पर चलना पड़ रहा। रही सही कसर को वाहन चालकों ने पार्किंग कर पूरी कर दी है। शहर में व्यवस्थित यातायात के लिए की गई सभी कवायदें धरी की धरी रह गई है। व्यसायिक दृष्टि शहर के व्यस्ततम मार्ग में बकायदा सीमा रेखा खींच कर फुटपाथ के लिए रास्ता तय किया गया है। राहगीर फुटपाथ की बजाय सड़कों पर चलते देखे जा सकते हैंं। गुपचुप चाट, फल आदि सामान को ठेले में लेकर बिक्री करने वाले व्यवसायियों के लिए चौपाटी का निर्माण स्मृति उद्यान के पीछे किया गया है। 1.45 करोड़ की लागत से निर्मित चौपाटी कोरोना काल के पहले केवल दो माह के लिए हुआ था। संक्रमण हटने के बाद व्यवसायी फिर से पुराने जगह में आ गए हैं। बताना होगा कि फुटपाथ निर्माण के बाद यातायात विभाग कार्रवाई करती है और उस वक्त व्यवसायी वहां से हट जाते हैं। दो-तीन दिन बाद फिर से कब्जा जमा लेते हैं। स्थाई व्यवस्था दुरूस्त करने में जिला प्रशासन नाकाम है।
0 ओपन थियेटर में आयोजन, सड़क में जाम
ओपन थियेटर में आए दिन खेल, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक आयोजन होते रहते हैं। इस दौरान यहां चौपाटी सड़क पर आ जाती है। मार्ग में पहले से ही फल दुकान लगाने वालों ने कब्जा कर रखा है। ऐसे मे गुपचुप चाट ठेला चलाने वालों की कतार स्मृति उद्यान के सामने लग जाती है। शाम के समय बाजार में खरीदी के लिए आने वाले लोगों के चलते सड़क में जाम लग जाता है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यहां यातायात पुलिस की भी तैनाती नहीं रहती। यहां पर कुछ दुकान संचालक ऐसे भी हैं जो चोरी ऊपर से सीना जोरी की तर्ज पर दुकान के पास खड़ी वाहनों में स्क्रैच लगा रहे हैं। कई मामले सिविल लाइन थाना तक पहुंच चुकी है।
0 मवेशियों का शहर की सड़कों पर कब्जा कायम
मवेशियों को सड़क दुर्घटना से बचाने के लिए पूर्ववर्ती राज्य शासन ने रोका छेंका अभियान चलाया था, जिसका पालन निगम क्षेत्र में पूरी तरह से नहीं हुआ। अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है, लेकिन मवेशियों को सड़क से हटाने कोई कार्रवाई नजर नहीं आई है। शहर के सभी प्रमुख मार्गों में मवेशियों जमावड़ा देखा जा सकता है। खासकर सुभाष चौक, महानदी कॉम्प्लेक्स निहारिका, कोसाबाड़ी मार्ग में वाहनों की चपेट में आकर मवेशी दुर्घटना का शिकार होते हैं। वाहन चालकों के भी दुर्घटना के शिकार होने के मामले सामने आते रहते हैं। व्यवस्था सुधार को लेकर शहर के मवेशी पालकों का भी सहयोगात्म रूख नहीं है, जिसका खामियाजा राहगीरों और मवेशियों को भुगतना पड़ रहा है।

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